पुष्पेंद्र सिंह, दंतेवाड़ा. अरनुपर आईईडी ब्लास्ट (Aranpur IED Blast) की लपटों में ग्रामीण झुलस रहे हैं. अरनपुर थाना क्षेत्र के तेनेली पंचायत के ग्रामीण अपने दर्द लेकर सोमवार को एसपी कार्यालय पहुंचे. ग्रामीण सुबह से एसपी कार्यालय के सामने खड़े हैं. उनका कहना है कि बिना एसपी से मिले यहां से नहीं जाएगें.

तनेली पंचायत से पुलिस ने एक दर्जन से अधिक लोगों को अरनुपर बम ब्लास्ट के बाद उठाया है. इनमें से सात लोगों को जेल भेज दिया है. अब बाकी जो बचे है उनका कोई अता-पता नहीं है. परिजन को ये तो पता चले आखिर जिन लोगों को पुलिस ने उठाया है वे कहा है? पुलिस खुलासा करे कि वे सुरक्षित है कि नहीं.

मामले में तनेली पंचायत सरपंच पति महादेव मुचाकी का कहना है कि हमारे जवान बम ब्लास्ट मारे गए है और हमारे ही निर्दोष लोगों को जेल में डाला जा रहा है. पेड़का के पास बम ब्लास्ट हुआ है. वहां से महज एक किमी दूर अरनपुर कैंप है. वहां पुलिस ने आर ओ पी भी नहीं लगाई. पुलिस की नाकामी के चलते हमारे जवान इस बम ब्लास्ट में शहीद हुए है. अब पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए निर्दोषों को जेल भेज रही है.

दुधमुहीं बच्चों के साथ महिलाएं पहुंची एसपी ऑफिस

पांडु कावासी और सुक्का ताती दोनों घर में अकेले ही कमाने वाले हैं. इन दोनों की पत्नी भी अपने पति की जानकारी लेने के लिए ग्रामीणों के साथ एसपी ऑफिस पहुंची. इन दोनों की गोद में छह-छह माह के बच्चे थे. इस भीषण गर्मी दोनों बच्चे लस्त दिखे. महिलाओं की आंखों में आंसू भी नहीं और न ही उनके पास कोई शब्द थे. उनसे पूछने पर भी वे कुछ नहीं बोली. इसी बीच सरपंच पति ने कहा कि पांडु और सुक्का के घर में तो कोई कमाने वाला ही नहीं है. पुलिस उनको जेल भेज दे या फिर छोड़ दे. पुलिस स्पष्ट तो करे आखिर वे कहां है?

मेरे गांव के लोग दोषी नहीं- युवक

शंकर मुचाकी तेनली पंचायत का रहने वाला है. उसका कहना है कि वह अभी पढ़ रहा है. अरनपुर पेड़का के पास बम ब्लास्ट हुआ है. वहां से पांच किमी दूर तनेली गांव है. वहां के रहने वाले लोगों का कोई हाथ नहीं है, वे सभी निर्दोष हैं. पुलिस जबरदस्ती निर्दोषों को उठा कर जेल भेज रही है. जब भी कोई बड़ी घटना होती है तो निर्दोषों की बलि चढ़ाना शुरू हो जाता है.

बता दें कि बीते महीने 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर क्षेत्र में नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर बड़ी घटना को अंजाम दिया है. पेड़का रोड में हुए आईईडी ब्लास्ट में डीआरजी के 10 जवान और 1 ड्राइवर शहीद हुए थे.

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