रायपुर। विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पेश किया. विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हम केंद्र के कानून को छू नहीं रहे. हम अपने राज्य के किसानों को सुरक्षित रखना चाहते हैं. हम यह चाहते हैं कि राज्य का किसान व्यापारियों से ठगाए नहीं. हम इसलिए कानून बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह संशोधन की शुरुआत है. यदि आगे और भी जरूरी हुआ तो हम और भी संशोधन लाएंगे.

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि विजयादशमी हम सब मनाते हैं तो एक संदेश जाता है. नई पीढ़ी को बताते है कि रावण बहुत बड़ा था. सोने की लंका में रहता था, लेकिन रावण कितना बड़ा क्यों न हो, उसे मिटना पड़ता है, क्योंकि वह अहंकारी था. केंद्रीय वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया लेकिन किसी को भी 20 नया पैसा नहीं दिया. किसानों को दो हजार रुपये देने की योजना की सूची बनाकर केंद्र को भेजा गया, लेकिन सूची से नामों को अलग अलग बहाने से काटा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि केंद्र ने जो कानून लाया क्या देश के किसी किसान संगठनों ने मांग की थी? क्या राजनीतिक दलों ने मांग की थी. जब देश कोरोना से लड़ रहा है अचानक उस वक़्त ये कानून लाया गया. बीजेपी कहती है कि जब अध्यादेश लाया गया तब विरोध क्यों नहीं किया गया? केंद्र की मंत्री हरसिमरत कौर ने भी तब इस्तीफा दिया जब संसद में बिल लाया गया. केंद्र के सहयोगी दल ही सहमत नहीं है. एपीएफसी कानून किसानों को नहीं पूंजीपतियों को लाभ देने वाला कानून है. यह बिहार में 2006 से लागू है. किसान वहां 1300 रुपये क्विंटल से अधिक में अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री बाल्यान के बयान पर कहा कि एमएसपी भारत सरकार घोषित करती है, राज्य एजेंसी के रूप में काम करती है. केंद्र ने बोनस बन्द कर दिया, क्या उसका विरोध करेंगे क्या?  यह पहली बार है कि केंद्र सरकार न बोनस दे रही है न देने दे रही है. किसानों को बोनस देने की बात पर सवाल उठाते है. आप तो मुकर गए थे, हम दे रहे है. दो क़िस्त दे चुके हैं और दो देने वाले है. जीएसटी का चार हजार करोड़ राज्य को लेना है. दायित्व उनका है और हमे कर्ज लेने की नसीहत दे रहे हैं. हमे वित्तीय प्रबंधन सीखा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ये किसानों का कानून बता रहे है लेकिन ये विपणन का कानून है. दो महीने पहले दस रुपये प्रति किलो में मिलने वाला प्याज 70-80 रुपये हो गया है. यह है अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम में छूट देने का प्रभाव. छत्तीसगढ़ में प्याज 280 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है. इतना बढ़ने के बाद भारत सरकार से चिट्ठी आई है कि छापा मारो, रोक लगाओ. हम अपने राज्य के किसानों को नहीं छोड़ सकते. हम उनके हितों का ध्यान रखेंगे. यह संशोधन किसानों के हितों को लेकर लाया गया है.

उन्होंने कहा कि इथेनॉल प्लांट डालने हमने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी. हमारे साथी कहते थे कि पैडी से इथेनॉल बनाएंगे तो नोबल पुरुस्कार मिलेगा. अब केंद्र ने 54 रुपये की कीमत भी तय कर दी. मुझे तो नोबल नहीं चाहिए, राज्य की जनता यहां के किसानों का सम्मान कीजिये. केंद्र ने इथेनॉल की अनुमति दी लेकिन चिट्ठी भेजकर कहा कि धान एफसीआई से उठाएंगे. हमने चिट्ठी लिखी है कि इस बाध्यता को हटा दें. केंद्र ने कहा है कि बोनस देने वाले राज्य से धान न खरीदे.

भूपेश बघेल ने कहा कि शांताकुमार की रिपोर्ट कहती है कि पीडीएस योजना में भ्रष्टाचार होता है, यह बन्द कर देनी चाहिए. एमएसपी खत्म करने की बात इस रिपोर्ट में की गई है. छत्तीसगढ़ के संदर्भ में लिखा है कि केवल 57 फीसदी किसानों को एमएसपी का लाभ मिलता है, जबकि हकीकत है कि 90 फीसदी से ज्यादा किसानों को एमएसपी का लाभ मिलता है. शांताकुमार की रिपोर्ट के हिसाब से भारत सरकार चल रही है. नागपुर में एक उद्योगपति का एक लाख वर्गफीट का गोडाऊन बन गया है. यह किसानों के साथ नहीं आम उपभोक्ताओं के साथ धोखा है.

उन्होंने कहा कि एमएसपी में 23 वस्तु घोषित करते हैं लेकिन कितनी चीजों को एमएसपी पर खरीदते हैं. हम इस मंडी संशोधन विधेयक में उस पैन कार्ड धारी व्यापारी को भी दायरे में ला रहे हैं, हम चिटफंड कंपनियों की तरफ लूटकर भागने का मौका नहीं देंगे. किसान अपने उत्पाद की सही कीमत तय नहीं कर पाता, इसलिए सरकार का संरक्षण जरूरी है. एक राष्ट्र, एक बाजार की बात करते है अच्छी बात है लेकिन एक राष्ट्र, एक बाजार के साथ एक कीमत कर दीजिये. एमएसपी पर अनाज बिके.

भूपेश बघेल ने कहा कि किसान दोनों तरफ से ठगा जाता है. मेरा भाई भी कांट्रेक्ट फार्मिंग करता है. हर साल 30 एकड़ जमीन पर टमाटर के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करता है. एग्रीमेंट किया जाता है. मैं जानता हूँ किसानों को इसका फायदा नहीं होगा. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट देश मे कहीं लागू है तो सिर्फ छत्तीसगढ़ है. जहां हम इसके प्रावधानों को लागू करके किसानों को फायदा दे रहे है. लेकिन केंद्र इसे भी रोकना चाहती है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर रमन सिंह जब मुख्यमंत्री थे तब यहां बिकने बिहार से भी धान आता था. जब बिहार में किसानों की हालत नहीं सुधरी तो इस कानून से देश की हालत नहीं सुधरी.

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