रायपुर। “वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन कमीशन” (WHRPC) ने 26 सितंबर को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में “बिज़नेस एंड हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन” के क्षेत्र में रायपुर निवासी अतुल सिंघानिया को “मानद डॉक्टरेट” की उपाधि प्रदान की। WHRPC द्वारा दी गयी इस उपाधि को भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है.

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WHRPC द्वारा नयी दिल्ली में आयोजित इस समारोह में गणमान्य व्यक्ति – मेधा पाटकर, नीलांबर आचार्य (नेपाल के पूर्व मंत्री और भारत में नेपाल के वर्तमान राजदूत), ब्रायन एम्वाले साका (फर्स्ट सेक्रेटरी, हाई कमीशन, रिपब्लिक ऑफ़ ज़ाम्बिया), डॉ फ्रांटिसेक जिरासेक (काउंसलर – चेक गणराज्य का दूतावास), श्रीमति ज्योतिका कालड़ा (सदस्य – राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग), न्यायमूर्ति राजेश टंडन (अध्यक्ष – उत्तराखंड विधि आयोग), मदन बेज़बरुआह (संयुक्त राष्ट्र-डब्ल्यूटीओ के स्थायी प्रतिनिधि), गौर कंजीलाल (प्रख्यात लेखक), अभिन्न कुमार होता (अंतर्राष्ट्रीय निदेशक, WHRPC) और अन्य उपस्थित थे.

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WHRPC के पार्लियामेंट्री चेयरपर्सन, फ्रांसिस्को सरदिन्हा जो वर्तमान में सांसद और पूर्व में मुख्यमंत्री और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष  रहे हैं, उन्होंने सेमिनार के बाद फोन पर अतुल सिंघानिया को बधाई दी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने भी अतुल सिंघानिया को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी हैं.

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इस उपलब्धि के लिए अतुल सिंघानिया ने अपनी वर्तमान कार्य संस्था श्री नारायणा अस्पताल, रायपुर एवं पूर्व की कार्य संस्थाओं – मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी, जिंदल पावर लिमिटिड, IBM इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का उन्हें प्रबंधन के क्षेत्रों में कार्य करने का मौका देने के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही उनके शैक्षणिक संस्थानों – सालेम इंग्लिश स्कूल, रायपुर, रेजोनेंस एडुवेंचर्स (कोटा, राजस्थान) , BMS कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बैंगलोर और नारसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) , मुंबई का भी आभार व्यक्त किया है. जिन्होंने उन्हें शैक्षणिक रूप से दक्ष बनाया। अतुल सिंघानिया ने अपने परिवार के वरिष्ठों (विशेषकर अपने माता – पिता) को उनके आशीर्वाद, परिवार के अन्य सदस्यों, मित्रों एवं शुभचिंतकों को उनके स्नेह और शुभकामनायों के लिए उनका धन्यवाद दिया है जिस वजह से उन्हें यह उपाधि हासिल हुई है.

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