प्रदीप मालवीय, उज्जैन। सावन-भादौ माह में निकलने वाली बाबा महाकाल की छटवीं व अंतिम शाही सवारी आज निकाली गई। राजाधिराज बाबा महाकाल रजत पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना। धर्मनगरी की प्रजा ने भी राजा के स्वागत में पलक-पावडे़ बिछा दिए।

बता दें कि हर साल सावन और भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इसी के चलते आज भादौ मास के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल की छठवीं व अंतिम सवारी राजसी ठाठ-बाठ के साथ निकली। सबसे पहले चार बजे मंदिर के सभा मंडप में भगवान महाकाल के विग्रह की पूजा की गई। इसके बाद महाकाल 6 स्वरूपों में नगर भ्रमण पर निकले हैं। बाबा महाकाल रजत पालकी में चंद्रमोलेश्वर स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकले। वहीं नंदी पर सवार होकर बाबा महाकाल ने उमा महेश स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए और महाकालेश्वर शिव तांडव स्वरूप में गरुड़ पर सवार होकर निकले और हाथी पर मन महेश स्वरूप में विराजित हुए। साथ ही बैलगाड़ी रथ में होलकर स्टेट का मुखारविंद सवार होकर निकला।

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इसके पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर राजा को पुलिस द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। सवारी परंपरागत मार्ग से होकर रामघाट पहुंची। जहाँ अवंतिकानाथ राजाधिराज महाकाल का मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा के जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद सवारी निर्धारित मार्ग से वापस महाकाल मंदिर पहुंची। सवारी में पुलिस अश्वारोही दल, पुलिस टुकड़ी, पुलिस बैंड, भजन मंडली समेत जन प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए। बाबा महाकाल की सवारी का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। पूरे सवारी मार्ग पर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए लाखों लोग घंटों सड़कों पर खड़े रहे।

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