नई दिल्ली: हिसार के बरवाला सतलोक आश्रम संचालक संत रामपाल को हिसार की कोर्ट ने मंगलवार को बरी कर दिया. रामपाल की इसी महीने की 23 तारीख को 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी. कोर्ट ने दो मामलों फैसला सुरक्षित रख लिया था. उन पर सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने और लोगों को बंधक बनाकर हिंसा के लिए उकसाने का आरोप था. रामपाल समेत 14 लोगों को बरी किया गया है. तीन और मामलों में फैसला अभी आना बाकी है.

जानकारी के मुताबिक, संत रामपाल पर एफआईआर नंबर 426 में सरकारी कार्य में बाधा डालने और 427 में आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज था. इन दोनों मामलों में संत रामपाल के अलावा प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, विरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, राजकपूर ढाका, राजकपूर और राजेंद्र को आरोपी बनाया गया है. मामले की सुनवाई को देखते हुए हिसार की सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई है.

हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में पैदा हुए रामपाल हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर थे. स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य बनने के बाद नौकरी छोड़ प्रवचन देना शुरू किया था. बाद के दिनों में कबीर पंथ को मानने लगे और अपने अनुयायी बनाने में जुट गए.

रामपाल पर दर्ज हैं ये गंभीर मामले

  1. रामपाल के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है, इसी मामले में वह करीब तीन साल से जेल हैं.
  2. 2006 में रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था. दरअसल, रामपाल ने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक शख्स की मौत हो गई थी.
  3. 2013 में एक बार फिर से आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए.
  4. इसके अलावा रामपाल पर पुलिस और कोर्ट के काम में बाधा पहुंचाने का भी आरोप है.

इन मुकदमों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में चल रही है. रामपाल की गिरफ्तारी के बाद सतलोक आश्रम से करीब 15 हजार समर्थकों को निकाला गया था. रामपाल और अन्य लोगों के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और रास्ता रोककर बंधक बनाने के 2 मामले हैं जिनपर फैसला आना है.