लक्ष्मीकांत बंसोड़,डौंडी। गरीबों के आशियाने को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की, लेकिन बालोद जिले के डौंडी लोहारा के वार्ड 11 में निवासरत लगभग डेढ़ दर्जन लोगों का बिना आशियाना तैयार हुए केंद्र से बधाई पत्र मिल गया. जिसे लेकर अब प्रशासन जानकारी तलाशने में जुट गई कि चूक कहां से हुई और क्यों ? अब तक 21 गरीब परिवार कच्चे आशियाने में भी अपनी जिंदगी का गुजारा करने पर मजबूर है.

दरअसल बीते 2 सालों से डौंडी लोहारा के वार्ड नंबर 11 में लगभग डेढ़ दर्जन ऐसे गरीब परिवार है, जो अपने आशियाने को कच्चे से पक्के करने की बाट जोह रहे हैं. बाकायदा उनके पास जमीन का प्रमाणीकरण है यानी उन्हें जमीन का पट्टा मिल चुका है. लेकिन केंद्र सरकार की योजना का फायदा उन्हें नहीं मिल पा रहा है. 29 में से 7 परिवारों के आशियाने को छत में तब्दील करने का कार्य केंद्र सरकार की योजना के माध्यम से शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है. बाकी बचे लगभग डेढ़ दर्जन लोगों को आज भी उनके आशियाने को मजबूती का इंतजार है. जिसको लेकर कई दफा नगर पंचायत से लेकर जिला प्रशासन के पास मदद की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई. आज भी बारिश में टपकती छत और दरारों वाली दीवार के घेरे में अपनी जिंदगी के दिन-रात गुजार रहे हैं.

डेढ़ दर्जन परिवारों के चेहरे उस वक्त खुशी से खिल गए, जब उनके पास केंद्र की ओर से बाकायदा पोस्ट के माध्यम से पत्र पहुंचा. जिसमें पक्के मकान बनने पर बधाई दी गई थी, तो वही प्रधानमंत्री आवास की स्पर्धा में भाग लेने के लिए फोटो भेजने कहा गया था. अब पत्र को लेकर लोग हैरान है कि जब आशियाना बना ही नहीं तो पत्र मिला कैसे ? अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर पक्के मकान बने ही नहीं, तो फिर बधाई संदेश केंद्र की ओर से कैसे आया. कहीं स्थानीय प्रशासन ने वाहवाही बटोरने केंद्र तक झूठी जानकारी तो नहीं भेजा. बहरहाल मामला कैसा भी हो, चूक कहां से हुई यह तो निष्पक्ष जांच में ही खुलासा होगा।

इस मामले को कलेक्टर जन्मजय महोबे ने गंभीरता से संज्ञान में लेने की बात कही है. उनका कहना है कि स्थानीय अधिकारियों से जानकारी लेकर आपको बताया जाएगा. पूरे मामले में नगर पंचायत पर गड़बड़ झाला कर बड़े घोटाले का अंदेशा जताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी हैं, तो वहीं अब लोग बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.