जगदलपुर. विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ को स्थानीय ग्रामीण कारीगर अंतिम रूप दे रहे हैं. इस रथ को कारीगरों ने 20 दिन में तैयार किया है. इस विशालकाय रथ में विजयदशमी के दिन मां दंतेश्वरी के छत्र को सवार कर शहर भ्रमण कराया जाएगा.

विजयदशमी के दिन पूरे भारत देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है, लेकिन बस्तर में इस विशालकाय रथ के ऊपर बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी माता के छत्र को सवार कर शहर में परिक्रमा करवाया जाता है. यही कारण है कि 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ की परिक्रमा को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं.

इस रथ को बनाने के लिए बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण पहले जंगल जाते हैं और रथ बनाने के लिए लकड़ी लेकर जगदलपुर शहर के सिरहासार चैक में पहुंचते हैं. इसके बाद झाड़उमर गांव और बेड़ा उमरगांव के सैकड़ों ग्रामीण कारीगर जगदलपुर पहुंचते हैं और अपने पारंपरिक औजारों से इस रथ का निर्माण करते हैं.

ग्रामीण कारीगरों ने बताया कि इस रथ को बनाने में 20 दिन का समय लगा है. 20 दिन के बाद यह रथ पूरी तरह बनकर तैयार हो जाती है, जिसके बाद इस रथ को पूरी तरह सजा कर इसे शहर में भ्रमण करवाया जाएगा. दशहरे में रथ परिक्रमा मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है.

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