हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार चतुर्थी पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना और उनकी उपासना की जाती है. चतुर्थी व्रत को मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है. हर माह में आने वाली भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है.

चैत्र माह की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी आज यानी 10 मार्च, शुक्रवार को पड़ रही है. इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश भगवान अपने भक्तों की सभी परेशानियां और बाधाएं दूर करते हैं. Read More – Pat Cummins Mother Death : चौथे टेस्ट मैच के दूसरे दिन काली पट्टी बांधकर मैदान में उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम, BCCI ने भी जताया दुख …

मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति स’चे मन से गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन से सभी दु:ख और संकट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि….

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ 10 मार्च 2023 को रात 09 बजकर 42 मिनट से और समाप्त 11 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 05 मिनट पर. Read More – Natural Fat Burner का काम करते हैं ये Food Items, अपनी डाइट में करें शामिल और वजन घटाएं …

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. इसके साथ भी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना शुभ होता है. चंद्रमा को अघ्र्य देने के बाद ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है.