लुधियाना के जगराओं में भारतीय किसान यूनियन (एकता डकौंदा) ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ को बचाने के लिए 10 नवंबर को बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया है।

यह प्रदर्शन चंडीगढ़ में होगा। 10 नवंबर को आयोजित होने वाले ‘विश्वविद्यालय बचाओ मोर्चा’ के बड़े प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन (एकता डकौंदा) भारी संख्या में भाग लेगी। नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल पंजाब यूनिवर्सिटी का नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की अस्मिता और शिक्षा के अधिकार की लड़ाई है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे बड़ी संख्या में शामिल होकर केंद्र सरकार के शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें।

संगठन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के माध्यम से देश की शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने, इसे व्यवसायिक बनाने और शिक्षा का भगवाकरण करने की दिशा में काम कर रही है। यूनियन नेताओं का कहना है कि यह नीति देश की बहुसंख्यक आबादी से शिक्षा का अधिकार छीनने की साजिश है, जिसे किसी भी सूरत में सफल नहीं होने दिया जाएगा।

इस अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह धनेर और उपाध्यक्ष अमनदीप सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार पंजाब यूनिवर्सिटी को पंजाब से अलग करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। सरकार की मंशा है कि पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करके इसे सीधे केंद्र के अधीन किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा कदम न सिर्फ पंजाब की शिक्षा प्रणाली पर हमला होगा, बल्कि राज्य के अधिकारों का हनन भी है। उन्होंने चेतावनी दी कि पंजाब की जनता इस कथित साजिश को किसी भी सूरत में कामयाब नहीं होने देगी।

किसान नेताओं ने बताया कि “विश्वविद्यालय बचाओ मोर्चा” के दबाव के चलते फिलहाल केंद्र सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट चुनाव की तारीखों की औपचारिक घोषणा नहीं होती, तब तक संगठन का संघर्ष जारी रहेगा।