एन.के.भटेले,भिंड। मध्यप्रदेश के चंबल अंचल की तस्वीर बदल रही है. एक बार फिर चम्बल अंचल की बेटी पूजा ओझा ने केनो वॉटर स्पोर्ट्स में देश को विश्वपटल पर गौरवान्वित किया है. पूजा ने थाईलैंड में आयोजित हुई एशियन केनो पैरा क्वालिफ़ायर चैंपियनशिप में भारत के लिए दो गोल्ड मेडल जीते हैं. इसके साथ ही चाइना में आयोजित होने वाले एशियन चैंपियनशिप गेम्स 2022 में क्वालिफ़ाई कर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी.
भिण्ड के एक मध्यम परिवार से निकली दिव्यांग खिलाड़ी पूजा ओझा आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपने हौंसलों के दम पर ना सिर्फ़ देश के पैरा खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाई, बल्कि विदेशों में भी भारत का परचम लहराया है. तीन बार पैरा केनो नैशनल चैम्पीयनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट पूजा 2017 में थाईलैंड में आयोजित हुए एशियन गेम्स में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर इंटरनेशनल खिलाड़ी का दर्जा ले चुकी हैं. एक बार फिर जल्द चाइना में आयोजित होने जा रहे 2022 एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. उन्होंने हाल ही में थाईलैंड में आयोजित हुई क्वालिफ़ायर चैम्पीयन्शिप में गोल्ड मेडल जीत कर अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है.
पूजा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी. उनके फ़ेडरेशन ने भी उन्हें भरपूर सहयोग और गाइडेन्स दिया. जिसका नतीजा रहा कि क्वालिफ़ायर चैम्पीयन्शिप में वे एक नहीं बल्कि भारत के लिए दो गोल्ड मेडल जीत सकीं. पूजा अपनी जीत का श्रेय अपनी फ़ेडरेशन और कोच मयंक ठाकुर को देती हैं. पूजा ओझा ने बताया कि उनके लिए इस खेल में आना आसान नहीं था. चूँकि वे एक दिव्यांग थी और केनो एक वॉटर स्पोर्ट्स हैं, लेकिन उन्होंने अपने आप पर भरोसा किया और मेहनत की. जिसका नतीजा आज वे विश्व के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों में शुमार हैं.
पूजा ने बताया कि उनके परिवार की माली हालत कभी ज़्यादा ठीक नहीं रही. करीब 3 साल पहले उनके भाई का कार हादसा हो गया. जिसने परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ कर रख दिया, लेकिन परिवार और अपने लोगों ने हौंसला दिया और सपोर्ट किया. जिसकी बदौलत आज वे अपना खेल आगे बढ़ा रही हैं. उनके पास केनो के लिए खुद का पेडल नहीं था, चूँकि वॉटर स्पोर्ट्स के इक्विप्मेंट सस्ते नहीं होते ऐसे में वे खुद ख़रीद नहीं सकती थी. लेकिन हाल ही में भिण्ड कलेक्टर ने उन्हें यह पेडल उपलब्ध कराया. जिसके लिए वे उनका बाहर मानती हैं.
पूजा कहती है कि कभी चम्बल क्षेत्र में लोग बेटियों को बढ़ावा नहीं देते थे, लेकिन बेटियाँ अगर कुछ ठान ले तो उसे पाने का दम रखती हैं. इसलिए बेटियों के माता पिता को उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए. खुद पूजा अपनी उपलब्धि से बहुत ख़ुश हैं. वे देश के लिए खेलने में गौरव महसूस करती हैं. उनका कहना है कि अब उनका फ़ोकस आने वाले एशियन गेम्स पर है. वे इस बार सिल्वर मेडल से संतुष्ट नहीं होंगी. इस बार और मेहनत करेंगी और गोल्ड मेडल घर लाएंगी.
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें