सुप्रिया पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आज भी धान खरीदी जारी है, लेकिन खरीदी केंद्रों में धाम के जमा होने से कभी भी खरीदी प्रभावित हो सकती है. इस विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मंत्रियों की किसान प्रतिनिधियों से चर्चा हुई. किसान सरकार के हर कदम के साथ हैं, जरूरत पड़ी तो वे केंद्र सरकार से आग्रह करने दिल्ली जाने को भी तैयार हैं. यह बात कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने राज्य सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच हुई चर्चा के बात मीडिया से कही.

मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि 45 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. आज अगर देखेंगे तो 48-49 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी लगभग हो चुकी है. राज्य सरकार के द्वारा केंद्र से एफसीआई द्वारा चावल के उठाव के लिए पत्र व्यवहार किया जाता रहा है. केंद्र सरकार के द्वारा लगभग 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति सितंबर 2020 को हम को प्राप्त हो गई थी. हर साल नवंबर माह में चावल का उठाव शुरू हो जाता रहा है. इस साल आज तारीख तक मुख्यमंत्री के लगातार केंद्र सरकार से आग्रह करने के बावजूद भी अनुमति नहीं मिल पाई है. कल भी मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रधानमंत्री से चर्चा की है. उन्होंने कहा है कि बहुत जल्द ही इस मामले को हम देखेंगे.

मंत्री ने कहा कि धान खरीदी केंद्रों में और संग्रहण केंद्रों में धान जाम हो गया है. उठाव नहीं होने के कारण राइस मिलर्स कस्टम मिलिंग के बाद एफसीआई में चावल जमा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि हमें अनुमति मिली नहीं है. इसके अलावा राइस मिल में भी अब कस्टम मिलिंग बंद हो गया है. बारदाने के संकट से यूं ही हम लोग पहले से जूझ रहे थे और राइस मिल कस्टम मिलिंग करेंगे और एफसीआई को चावल देंगे तो कुछ बारदाने का जो रिसाइकिल हो जाता है, उसका रोटेशन हो करके फिर से खरीदी केंद्रों में पहुंच जाता है. वह भी रुक गया है. भारी समस्या छत्तीसगढ़ के सामने और धान खरीदी की प्रभावित होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ के किसानों के सामने बड़ा संकट पैदा होने की स्थिति है.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में आज भी धान खरीदी जारी है, लेकिन खरीदी केंद्रों में धाम के जमा होने से कभी भी खरीदी प्रभावित हो सकती है. इस विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मंत्रियों की किसान प्रतिनिधियों से चर्चा हुई. बस्तर से लेकर सरगुजा तक के हर जिले के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा की. किसानों को समझ है कि राज्य सरकार की ओर से लगातार धान खरीदी को लेकर उनका सपोर्ट किया जा रहा है, धान खरीदी के बाद अगर चावल का उठाव होता रहा तो हम लोग इसको कैसे निरंतरता बनाए रखेंगे और चावल तो उठाव में अगर देरी से धान खरीदी प्रभावित होगी, तो विकल्प के रूप में हम और क्या कुछ कर सकते हैं.

चौबे ने कहा कि चर्चा के दौरान किसान संगठनों से सुझाव लिए गए, किसान केंद्र सरकार से आग्रह करने के लिए भी तैयार हैं, अपने सांसदों के माध्यम से प्रधानमंत्री तक बात पहुंचाने के लिए भी तैयार है, राज्यपाल को ज्ञापन देने के लिए भी तैयार हैं, और जरूरत पड़ेगी तो दिल्ली जाकर अपनी बात कहने के लिए तैयार है. प्रदेश के मुख्यमंत्री जो लगातार किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे है, किसानों के पक्ष में अपनी बात कर रहे हैं, उन्होंने लगातार प्रयास किया. प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की चर्चा हुई है तो हमें तो उम्मीद करना ही चाहिए कि मुख्यमंत्री के आग्रह को देश के प्रधानमंत्री जल्दी स्वीकार करेंगे.

छत्तीसगढ़ सरकार की कोई चूक नहीं हुई है, हमारा कमिटमेंट है कि हमने अपने घोषणापत्र में जो वायदे किए थे उसे पूरा कर रहे है, केंद्र सरकार को सपोर्ट करना चाहिए किसानों की मदद करनी चाहिए.

बैठक के दौरान मंत्री शिव डहरिया ने मीडिया से चर्चा में कहा कि भाजपा के सांसद किसानों के मामले में पूरी तरह से निष्क्रिय हैं, केंद्र से जो दिक्कत हो रही है, उसे लेकर यदि भाजपा सांसद जा नहीं सकते तो एक चिट्ठी ही प्रधानमंत्री मोदी को या केंद्रीय खाद्य मंत्री को लिख देते, इन्हें किसानों की मदद करना चाहिए. हमारी सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ है, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल से भी बात की है, और समस्या का हल निकलेगा ऐसा हम सोचते हैं, आज इसी मामले में हमारे पूरे प्रदेश के किसान प्रतिनिधि मंत्रियों से चर्चा कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र के समन्वय को लेकर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां पर कांग्रेस पूर्ण बहुमत में है, बाकी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी तोड़-फोड़ करने का काम कर रही है. राजस्थान में उन्हें सफलता नहीं मिली, बहुत सारे राज्यों में उन्होंने तोड़-फोड़ कर सरकार बनाने की कोशिश की है, छत्तीसगढ़ में उनकी नहीं चल रही है. छत्तीसगढ़ में सरकार किसानों के साथ है, उनको डिस्टर्ब किया जाए ऐसा वह सोचते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के किसान आज हमारे (कांग्रेस) साथ है, जरूरत पड़ी तो संघर्ष करने के लिए भी तैयार है. भाजपा को उनके घोषणा पत्र के याद दिलाए.

मंत्री ने कहा कि भाजपा पार्टी के सांसद और उनके नेता घर पूरी तरह से किसानों के मामले में उदासीन है, इन लोगों ने किसानों के मामले में अपने कार्यकाल में जितनी घोषणा की थी, चाहे वो 2003, 2008 या 2013 की बात हो, उसे पूरा नहीं किया. 2003 की घोषणा पत्र में उन्होंने कहा था कि हम किसानों का कर्जा माफ करेंगे, लेकिन इन्होंने वादे पूरे नहीं किए. ये किसानों के साथ नहीं, बल्कि ऐसे लोगों के साथ हैं, जो बड़े व्यापारी हैं, यह किसानों का साथ नहीं दे सकते.

वहीं किसान संगठन के सदस्य धर्मेंद्र कुमार साहू ने बैठक के बाद कहा कि आज की मीटिंग बहुत महत्वपूर्ण थी. केबिनेट के पांच मंत्री और हम सब किसान संगठन प्रदेश भर से शामिल हुए थे. राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम से प्रदेश स्तर में व्यापक रूप से हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे. प्रदेश में भाजपा सांसदों के निवास का घेराव करेंगे. जो किसान संगठन है हमारे प्रतिनिधि के रुप में केंद्र सरकार को मांगों से अवगत कराएंगे, उससे अगर बात नहीं बनती है तो हम भी पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर दिल्ली कूच करेंगे और दिल्ली में हड़ताल करेंगे. वहीं मधुसूदन यादव ने कहा कि अभी कोई समय सीमा तय नहीं की गई है, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों ने कहा है कि किसानों का पूरा धान खरीदा जाएगा, अगर केंद्र सरकार नहीं मानती है तो राज्य से लेकर केंद्र तक हर व्यापक स्थिति में लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

मंत्री अमरजीत भगत ने बैठक और धरमलाल कौशिक के आरोप पर कहा कि एफसीआई के द्वारा चावल जमा करने का आदेश नहीं आया है, इसे धान जाम हो गया है किसान प्रतिनिधियों से आज बात हुई है, धरमलाल कौशिक ने जो आरोप लगाया है उनसे आग्रह है कि कभी-कभी किसानों के पक्ष में भी बयान जारी कर दिया करें. केवल खिलाफ में और गलतफहमी पैदा करने वाली जो बातों से बचें, उससे छत्तीसगढ़ का भला होने वाला नहीं है. रहा सवाल चावल जमा करने का तो जैसे-जैसे स्पेस बन रहा है, वैसे-वैसे चावल जमा हो रहे हैं. प्रदेश की क्षमता है कि उसना में कम है और वह अरवा में ज्यादा है. हमको उसना का ज्यादा रेश्यो मिला है, जिसकी वजह से देरी हो रही है.

धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था को लेकर मंत्री ने कहा कि हम इस बात से वाकिफ रखते हैं उस बात की चिंता सभी को है, इसीलिए मंत्री यहां पर आए हैं कि किसान प्रतिनिधियों से बात कर समाधान निकाले. इन सब के लिए रणनीति बन रही है और उस दिशा में हम आगे बढ़ेंगे सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी है.