चंडीगढ़। आज मानसा में मुख्यमंत्री भगवंत मान की बड़ी रैली आयोजित हुई, जिसमें बड़ी संख्या में उनके समर्थक और प्रदेश की जनता शामिल हुई. यहां सीएम भगवंत मान ने गुलाबी सुंडी की वजह से खराब हुई नरमे की फसल के बदले किसानों को मुआवजा बांटा. इस दौरान CM भगवंत मान ने कहा कि अगर कुदरती प्रकोप की वजह से किसी की फसल खराब होती है, तो पहले मुआवजा मिलेगा, उसके बाद गिरदावरी होगी. उन्होंने कहा कि गिरदावरी होने तक किसान को घर का खर्च चलाने के लिए पैसा दिया जाएगा. गुलाबी सुंडी से नरमे के नुकसान के बदले CM मान ने 1 अरब 1 करोड़ 39 लाख 45 हजार 87 रुपए के मुआवजे को मंजूरी दी है. यह मुआवजा सिर्फ मानसा जिले को मिला है. इसमें साढ़े 7 करोड़ से ज्यादा रकम नरमा चुगने वाले मजदूरों के लिए है, बाकी सारा पैसा किसानों को मिलेगा.

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एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर की दिलाई याद

भगवंत मान ने यह भी कहा कि गुलाबी सुंडी के हमले का मुआवजा किसानों के खाते में आएगा. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी दिक्कत आती है, तो अपने इलाके के विधायक से मिल लें. उन्होंने कमीशनखोरी रोकने की बात कही और कहा कि अगर आपसे कोई भी कमीशन मांगता है, तो एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर 95012-00200 पर कॉल करें. इस मौके किसानों ने कहा कि 1.36 हजार एकड़ नरमा गुलाबी सुंडी से खराब हुआ. उन्होंने अपनी व्यथा बांटते हुए कहा कि इससे उनके घर के कई काम रुक गए. यहां तक कि इलाज और शादी जैसे महत्वपूर्ण काम भी रुक गए.

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खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे- सीएम भगवंत मान

इस मौके CM भगवंत मान ने कहा कि मानसा स्वतंत्रता सेनानियों, लेखकों, पहलवानों और खिलाड़ियों की धरती है. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम किसी खुशी का नहीं है, वे यहां सिर्फ दुखों को बांटने आए हैं. भगवंत मान ने कहा कि किसी ने खेती को फायदेमंद धंधा बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. पिछली बार सफेद सुंडी ने नुकसान किया, उसके लिए किस्मत जिम्मेदार नहीं है, बल्कि जिन्होंने नकली बीज और नकली स्प्रे की डील की, वह जिम्मेदार हैं. मान ने कहा कि ऐसे लोगों की भी जांच होगी, जिन्होंने सफेद और गुलाबी सुंडी के नाम पर घपला करने वालों की जांच होगी. सीएम मान ने कहा कि पहले मुआवजे के रूप में 52 रुपए, 82 रुपए और 130 रुपए का चेक आता था. किसानों के साथ मजाक किया गया. उन्होंने कहा कि अन्नदाता को भिखारी बना दिया था. थोड़ा समय दे दो, खेती को घाटे और मजबूरी का धंधा नहीं बल्कि ऐसी तकनीक लाएंगे कि खेती करने पर सम्मान महसूस होगा. इस बारे में विदेशी यूनिवर्सिटीज से बात कर रहे हैं.

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