Hate Speech case News: हेट स्पीच के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Hate Speech )ने सख्ती दिखाई है. अदालत ने को सभी राज्यों और केंद्र को अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभद्र भाषा के लिए मामले दर्ज करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भले ही कोई शिकायत दर्ज हुई हो या नहीं, लेकिन प्रशासन का मामला दर्ज है.

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्न की याचिका ने घृणास्पद भाषणों को “गंभीर अपराध जो देश के धार्मिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही चेतावनी दी कि केस दर्ज करने में किसी भी तरह की देरी को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.

पहले तीन राज्यों को निर्देशित किया गया था

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड को भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. तब कोर्ट ने कहा था, ‘हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं?’ इसके बाद छात्रों ने शुक्रवार को कहा, ”न्यायाधीश अराजनैतिक होते हैं और पहले पक्ष या दूसरे पक्ष के बारे में नहीं सोचते और उनके दिमाग में केवल एक ही चीज होती है- भारत का संविधान.

प्रशासन की ओर से देरी अदालत की अवमानना होगी

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस गंभीर मामले पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की देरी को अदालत की अवमानना माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का आदेश पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की एक याचिका पर आया, जिसने शुरू में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को निर्देश देने की मांग की थी.

अब्दुल्ला ने 21 अक्टूबर, 2022 को फिर से राज्य के लिए एक याचिका दायर की, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र से उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने का अनुरोध किया गया.

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