बिलासपुर। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह ने अपने खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है. दाखिल याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ मामला दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. फिलहाल, बेंच ने सुनवाई की तारीख तय नहीं की है.

इस संबंध में सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी ने जानकारी देते हुए बताया कि याचिका में जीपी सिंह ने राज्य सरकार पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुझसे सीनियर अधिकारियों ने पहले गलत काम करने कहा और जब सहयोग नहीं किया तो झूठी एफआईआर दर्ज कर दी.

याचिका में उन्होंने कहा कि जिस डायरी के आधार पर राजद्रोह का केस किया, उसे मैंने लिखी थी. मुझे डायरी लिखने का शौक है. उसे नाले में फेंक दिया था, जिसे एसीबी के अधिकारियों ने निकाला है. काफी पुरानी डायरी है, जिसमें जानकारी अस्पष्ट है. उसके आधार पर एफआईआर गलत है. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हो.

बता दें कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अन्वेशषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक जुलाई को सुबह 6 बजे आईपीएस जीपी सिंह के सरकारी बंगले में दाखिल हुई थी. करीब 75 घंटे की छापेमार कार्रवाई में करोड़ों रुपए बरामद किए गए. एसीबी की टीम ने आईपीएस जीपी सिंह पर धारा 13 (1)बी, 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम यथा संशोधित 2018 के तहत केस पंजीबद्ध किया था.

दस्तावेजों ने किया साजिश का खुलासा

वहीं छापे के दौरान एडीजी जीपी सिंह के सरकारी बंगले और उनके करीबियों के यहां से डोजियर, टूलकिट दस्तावेज और पेन ड्राइव मिले थे. दस्तावेजों की जांच के बाद ऐसी बातें सामने आई हैं, जो सरकार के खिलाफ साजिश रचने की ओर इशारा कर रही थी. इस मामले में कोतवाली पुलिस ने जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया है.

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छग में राजद्रोह का पहला मामला

छत्तीसगढ़ में भारतीय सेवा यानी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के किसी अधिकारी के खिलाफ राजद्रोह का यह पहला मामला दर्ज हुआ है. इससे पहले भारतीय सेवा के किसी अधिकारी पर यह केस दर्ज नहीं किया गया है. इससे पहले 5 जुलाई को ACB के रिपोर्ट सौंपते ही सरकार ने आईपीएस अफसर जीपी सिंह को निलंबित कर दिया था.

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