पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में इन दिनों करप्शन सिर चढ़कर बोल रहा है. आए दिन जिले के अफसर और कर्मचारियों की करतूतों सामने आते रहती है. यूं कहें कि जिला करप्शन का हब बनते जा रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें 79 छात्रावासों में बड़ा खेला हुआ है. करप्शन की कहानी हर पन्ने पर दस्तक दी है. यहां के जिम्मेदारों की करतूत सुन और जानकर हर किसी के होश फाख्ता हो जाएंगे, 79 आदिवासी छात्रावासों में नौनिहालों के हक पर डाका डाला गया है. सरकारी पैसा तो भरपूर आया, लेकिन जेब किसी और के भरे हैं. ये हम नहीं जिला निरीक्षण प्रतिवेदन में इस बात के सबूत छपे हैं.

दरअसल, जिले के आदिवासी विकास विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जिन वर्गों के आरक्षण से लेकर सुविधाएं दिलाने सरकार तत्पर रहती है. उनकी सुविधाओं पर गरियाबंद में डाका डाला जा रहा है. जिले में विभाग के देख रेख में आश्रम और छात्रावास संचालित हैं. जहां सही निगरानी के अभाव में 7 हजार आदिवासी और जनजाति छात्र छात्राओं को रोजाना नए समस्याओं से जूझना पड़ता है.

शौचालय, बिस्तर और राशन गायब !

कलेक्टर प्रभात मलिक ने 25 से ज्यादा जिला अफ़सरों से अगस्त सितम्बर में सभी छात्रावासों का निरीक्षण कराया था. उस रिपोर्ट में ज्यादातर छात्रावास में शौचालय, बिस्तर, राशन जैसे जरूरी सुविधाओं का अभाव दर्शाया गया था. छज्जे टूटने और साफ सफाई के अलावा दर्ज संख्या पर भी गड़बड़ी का अफ़सरों ने उजागर किया था. दो माह बीत गए, लेकिन इनकी सुधार पर विभाग ने अमल नहीं किया.

नियुक्ति में बड़े खेला के सबूत

निरीक्षण प्रतिवेदन का आदिवासी विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा. उल्टे उसने फिर से छात्रों के आड़ में नया खेल खेला गया है. मिली जानकारी के अनुसार बीते दो माह में विभाग ने 20 दैनिक वेतन भोगियों की कलेक्टर दर पर नियुक्ति की गई है. इस नियुक्ति में ज्यादातर लोग गैर आदिवासी हैं. नियुक्ति के नाम पर जम कर लेन देन की भी चर्चा है, जो कल सीएम भूपेश के सामने खुलेंगे.

छात्रों के आड़ में अफसर ले रहे सेवा

रिकॉर्ड के मुताबिक 50 सीटर कन्या आश्रम में 4-4कर्मी होने थे, लेकिन बगैर मांग के यंहा 2-2 अतरिक्त नियुक्ति कर 6-6 संख्या कर दिया गया है. दस्तावेज बताते हैं कि बड़े गोबरा 100 सीटर छत्रावास में 6 कर्मी के बजाए 8 की नियुक्ति की गई है, जिसमें से एक कर्मी को मैनपुर जनपद में नियम विरुद्ध सलग्न किया गया है. ऐसा ही गरियाबन्द छत्रावास में है. यहां भी 8 की नियुक्ति है, जिसमें से 1 जिला कार्यालय में तो दूसरा जिला पंचायत में अफ़सरों के सेवा में लगाया गया है.

छात्रों के निवाले पर कौन डाल रहा डाका ?

सुविधाओं के डाका की लिस्ट में भोजन में कटौती का भी मामला सामने आया है. कुछ दिन पहले कालीमाटी आश्रम का फोटो वायरल हुआ था, जिसमें 49 बच्चों के भोजन के लिए एक किलो पत्ता गोभी और आधा किलो चना दाल पकाने का दावा किया गया. इतना ही नहीं ईंधन के नाम पर मक्के का वेस्टेज से भोजन तैयार करते दिखाया गया है. यंहा छात्रों की संख्या और नियम विरुद्ध अधिक्षक बनाए जाने की शिकायत 21 नवम्बर को कलेक्टर से भी किया गया है.

कब तक जान जोखिम में डाल पढ़ने आएंगे बच्चे ?

10 साल पहले धवलपुर में आदिवासी बच्चों के छत्रावास को बंद कर दिया गया. यंहा के बच्चे बरसात के दिनों में बाकड़ी नदी पार कर स्कूल आते हैं. इन्हें छात्रावास की सुविधा की जरूरत है, लेकिन विभाग ने आज तक ध्यान नहीं दिया. सीएम भूपेश बघेल तीन दिन के प्रवास पर है. उनके ध्यान में समस्या लाने की तैयारी हो रही है.

मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त बी के सूखदेवे ने कहा कि सुविधाओं का बराबर ध्यान दिया जा रहा है. मांग पर ही कर्मियों की नियुक्ति हुई है.

ठंडे बस्ते में जाएगी जांच ?

गौरतलब है कि गरियाबंद जिला हर रोज अपनी नई कहानी लिखता है. करप्शन की सीढ़ी बड़ी लंबी हो गई है. भ्रष्टाचार में लिप्त जिले पर कानूनी डंडे की जरूरत है, जो कोई चलाने की हिमाकत नहीं करता. जिम्मेदारों पर जांच की आंच तो आती है, लेकिन सब ठंडे बस्ते में चला जाता है. अब देखने वाली बात है कि क्या इन करतूतकारों पर एक्शन होगा या फिर…?

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus