दिल्ली. के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले में 10 सदस्यों की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, संत नगर में रहने वाले भाटिया परिवार के सभी 10 सदस्यों की मौत फांसी पर लटकने से हुई थी. उनके शरीर पर जख्म या चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं. वहीं, परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य नारायणी देवी की मौत संदिग्ध मानी जा रही है. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सभी डॉक्टर्स की राय मेल नहीं खा रही. इसलिए फिलहाल नारायणी देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट रोकी गई है.
इस मामले में मंगलवार को डॉक्टर्स की टीम ने भाटिया परिवार के घर भी पहुंची थी. जिस कमरे में नारायणी देवी की लाश पड़ी थी, उस जगह का मुआयना किया गया. अब डॉक्टर्स की टीम आपस में बातचीत के बाद फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट देगी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस अब साइकोलॉजिकल अटॉप्सी कराएगी. इससे यह पता लगाया जाएगा कि उन्होंने ‘वट तपस्या’ जैसा कदम क्यों उठाया. 11 लोगों की मौत के सिलसिले में पुलिस ने 200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है. सूत्रों ने बताया कि मृतकों में से एक प्रियंका भाटिया के मंगेतर से पुलिस ने दोबारा बंद कमरे में करीब तीन घंटे की पूछताछ की. उन्होंने बताया कि उसने परिवार के किसी भी रीति-रिवाज में शामिल होने की जानकारी होने से इनकार किया
दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संतनगर में एक घर से एक साथ 11 लाशें मिलने के मामले में हर दिन नई-नई बातें सामने आ रही हैं. पूरा परिवार ‘मोक्ष प्राप्ति’ और मृत पिता से मिलने के लिए तंत्र-मंत्र और कथित धार्मिक अनुष्ठान कर रहा था. मोक्ष प्राप्ति की एक प्रक्रिया के तौर पर परिवार ने मास सुसाइड किया. इसके लिए परिवार के दो सदस्यों घर के बगल वाली फर्नीचर की शॉप से प्लास्टिक के स्टूल और तार खरीदे थे.
पुलिस का कहना है कि घर का छोटा बेटा होने की वजह से ललित भाटिया अपने पिता भोपाल सिंह का लाड़ला था और उनके बेहद करीबी था. पिता की मौत का असर उसपर सबसे ज्यादा पड़ा. ललित सदमे में था. पास-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को बताया कि एक हादसे में ललित की आवाज चली गई थी. काफी इलाज के बाद आवाज नहीं लौटी. तब से वह अपनी बातें लिखकर बताने लगा. परिवार के करीबियों के मुताबिक, इसी दौरान ललित ने परिवार को बताया कि पिता भोपाल सिंह उसे दिखाई देते हैं और बातें करते हैं.
पुलिस को कुछ और हाथ से लिखे नोट्स भी मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि किस तरह सामूहिक खुदकुशी की पूरी योजना बनाई गई. 30 जून 2018 की आखिरी एंट्री इस घटना का राज़ खोलती है. डायरी में अंतिम एंट्री में एक पन्ने पर लिखा है ‘घर का रास्ता. 9 लोग जाल में, बेबी (विधवा बहन) मंदिर के पास स्टूल पर, 10 बजे खाने का ऑर्डर, मां रोटी खिलाएगी, एक बजे क्रिया, शनिवार-रविवार रात के बीच होगी, मुंह में ठूंसा होगा गीला कपड़ा, हाथ बंधे होंगे.’ इसमें आखिरी पंक्ति है- ‘कप में पानी तैयार रखना, इसका रंग बदलेगा, मैं प्रकट होऊंगा और सबको बचाऊंगा.’
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि ललित के निर्देशों के मुताबिक काम करने पर परिवार की काफी तरक्की भी हुई थी. इसलिए इस कथित ‘मोक्ष प्रक्रिया’ पर किसी ने सवाल नहीं उठाया. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पूरा परिवार ‘शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर’ का शिकार था. इस बीमारी से पीड़ित शख्स को किसी मरे हुए या तीसरे शख्स की आवाज सुनाई देने और उसे देखने का वहम हो जाता है. फिर ऐसा शख्स उसी के कहे मुताबिक काम करने लगता है. हालांकि, परिवार के रिश्तेदार और राजस्थान में रहने वाला भाई दिनेश ऐसी बातों को खारिज कर रहे हैं. दिनेश के मुताबिक, ये सब कुछ मीडिया ने प्रचार किया है.