पटना। बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों के अनुसार चुनाव तीन चरणों में कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि वोटिंग की तारीख तय करते समय दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
बिहार की संस्कृति में त्योहारों का महत्व
बिहार की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना में छठ पूजा और दिवाली का महत्वपूर्ण स्थान है। खासतौर पर छठ पूजा बिहारवासियों की आस्था से जुड़ा पर्व है, जिसे राज्यभर में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इन्हीं कारणों से चुनाव आयोग की मंशा है कि चुनाव कार्यक्रम इस तरह तैयार किया जाए, जिससे त्योहारों के दौरान आम जनता को कोई असुविधा न हो और चुनाव प्रक्रिया भी शांतिपूर्ण ढंग से पूरी की जा सके।
22 नवंबर को होगा समाप्त
वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सितंबर के आखिरी सप्ताह से आचार संहिता लागू हो सकती है, और चुनाव प्रक्रिया सितंबर-अक्टूबर के बीच आयोजित की जा सकती है।
त्योहारों के बीच चुनावी कार्यक्रम की योजना
अक्टूबर महीने में दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहार पड़ते हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव आयोग इन त्योहारों के बीच तीन चरणों में मतदान कराने की योजना बना सकता है। वहीं नवंबर के पहले सप्ताह में चुनाव नतीजे घोषित किए जा सकते हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव का प्रारूप भी था तीन चरणों में
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी तीन चरणों में मतदान हुआ था
पहला चरण: 28 अक्टूबर 2020 (71 सीटें)
दूसरा चरण: 3 नवंबर 2020 (94 सीटें)
तीसरा चरण: 7 नवंबर 2020 (78 सीटें)
चुनाव के नतीजे 10 नवंबर 2020 को घोषित किए गए थे, जिसमें एनडीए को बहुमत मिला था और नीतीश कुमार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
चुनाव आयोग की टीम इसी महीने बिहार दौरे पर
बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग की एक टीम इसी महीने बिहार का दौरा करेगी, जिसमें चुनाव तैयारियों की समीक्षा की जाएगी और संभावित चुनाव कार्यक्रम पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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