वीरेंद्र गहवई. बिलासपुर. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है, कि कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा कोई यौन संबंध यह कोई भी यौन कृत्य, बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता. अदालत ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया, और पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया है.

इसके पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट में भी मैरिटल रेप के संबंध में एक मामला आया था. जिसके दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मेरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. इस केस में शिकायतकर्ता, आरोपी की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है. इसलिए आरोपी पति द्वारा उसके साथ यौन संबंध या किसी भी यौन संबंध को बलात्कार का अपराध नहीं माना जाएगा. भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो. हालांकि इस मामले में इस व्यक्ति को अदालत में बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया. लेकिन उसके खिलाफ अब आईपीसी के तहत अप्राकृतिक सेक्स और दहेज प्रताड़ना के आरोपों में मुकदमा चलेगा.

बता दें, पीड़िता की शादी बेमेतरा में हुई थी. वे एक साथ रहते थे. शादी के कुछ दिनों बाद आवेदक दहेज यानि पैसे की मांग पर शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया, उसके साथ गाली-गलौज भी करते थे, और मारपीट भी करते थे. पीड़ित का आरोप है कि पति ने कई बार अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाए. पीड़िता ने बेमेतरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ धारा 277, 376, 34 और 498-ए के तहत जुर्म दर्ज किया था.