अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसरों कर्मचारियों की लेटलतीफी की आदतों को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने बायोमैट्रिक सिस्टम को अनिवार्य करने का फैसला कर लिया है. सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने जैसे ही इस दिशा में अपनी कवायद को तेज करना शुरू किया, वैसे ही इस कवायद के लिए विरोध के स्वर निकल कर सामने आने लगे हैं. मध्य प्रदेश के तमाम प्रोफेसरों ने उच्च शिक्षा विभाग के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है. बायोमैट्रिक अटेंडेंस के लिए मशीनें लगाए जाने के लिए विभाग ने यह फरमान भी जारी कर दिया है कि जल्द ही सभी कॉलेज विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक से ही अटेंडेंस की जाएगी.

इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात निकल कर सामने आई है, जो प्रोफेसरों की नाराजगी की ओर इशारा कर रही है. सभी कॉलेजों में मशीनें जनभागीदारी समिति की राशि से खरीदी जानी है. बायोमेट्रिक के संबंध में कॉलेज प्राचार्य से चर्चा की तो उनकी बातचीत से यह स्पष्ट हो गया है कि वह मशीनों के पक्ष में नहीं है. ये व्यवस्था कॉलेज फैकल्टी पर ही नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं के लिए भी लागू की जानी है.

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प्रोफेसरों का कहना है कि कॉलेज में क्षमता से अधिक सीट होने के चलते राजधानी के अधिकांश कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या ढाई से तीन गुना तक है क्लास रूम भी नहीं है. परीक्षा के समय एक दूसरे लेकर फर्नीचर की व्यवस्था करनी होती है. ऐसे में मशीन लगाने के बाद इतने छात्रों को कैसे बैठाएंगे.

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ये होगी समस्या

कॉलेजों में छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर नहीं है तो बैठेंगे कहां.

75% अटेंडेंस नहीं तो रुकेगी छात्रवृत्ति.

75% अटेंडेंस नहीं तो छात्र परीक्षा से वंचित होंगे.

अटेंडेंस के लिए लगानी होगी लाइन.

लाइट नहीं होने पर क्या होगी वैकल्पिक व्यवस्था.

ये है स्थिति

सरकारी कॉलेज 530

अनुदान प्राप्त 74

उत्कृष्ट 8

स्वशासी 18

कुल कॉलेज 630

छात्र संख्या 9:30 लाख

कुल मशीन  1910

कीमत-2,86,50000

मशीन खरीद की प्रक्रिया जारी

कई कॉलेजों के प्राचार्य की मशीन खरीदी को लेकर अपने-अपने तर्क हैं. भेल कॉलेज के प्राचार्य मथुरा प्रसाद की मानें तो 30 सितंबर तक मशीनें लग जाएंगे और की खरीदी की प्रक्रिया चल रही है. वहीं हमीदिया कॉलेज के प्राचार्य अनिल शिवानी की मानें तो जनभागीदारी समिति को प्रस्ताव भेजा गया है. मशीन खरीदी प्रोसेस में है जल्द ही मशीनें लग जाएंगे.

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