17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिवस देश मना रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र के जन्म दिवस को सेवा दिवस के रूप में मनाने की परंपरा प्रारंभ की है. भारतीय जनता पार्टी के असंख्य कार्यकर्ता एवं समर्थक चिकित्सालयों में मरीजों की सेवा, फल वितरण, वृक्षारोपण, कुष्ठ आश्रमों, जनजाति एवं अनुसूचित वर्गों के छात्रावासों में और मलिन बस्तियों में तरह-तरह के सेवा कार्य करते हैं. इस वर्ष भी वे इस कार्य को करेंगे. संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी का संकट अभी भी विद्यमान है. प्रथम एवं द्वितीय लहर आकर जा चुकी है. तृतीय लहर की संभावना हम सभी के सम्मुख आने की संभावना प्रकट हो रही है. भारतीय जनता पार्टी ने कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य स्वयंसेवक अभियान (National Health Volunteers Campaign) प्रारंभ किया है. जिसमें अभी तक लगभग 7 लाख वॉलिंटियर्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. 17 सितंबर को यह सभी स्वयंसेवक भी वैक्सीनेशन कराने में सहयोग करेंगे.

जब कभी हम किसी राजनीतिक नेता के संबंध में मूल्यांकन करते हैं, तब उसका मूल्यांकन उसने कितने चुनाव जीते अथवा जिताए इसी के आधार पर करते हैं. राजनीतिक नेता भी अपनी सफलता को पाने के लिए इसी गुणा भाग में लगे रहते हैं. वास्तव में इतना मूल्यांकन पर्याप्त नहीं है. नेतृत्व द्वारा समाज को दिशा, जनता में गुण संवर्धन एवं भविष्य की चुनौतियों से लड़ने योग्य दिशा दी अथवा नहीं, यह भी मूल्यांकन का आधार होना चाहिए. इसी कसौटी के आधार पर हम अनेकों ऐसे महापुरुषों को स्मरण करते हैं जो अपने उपरोक्त गुणों के कारण आज भी समाज में स्मरणीय है.

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए, गरीबों के उत्थान के लिए एवं देश की अन्तर्बाह्य सुरक्षा जैसे अनेक विषयों को केंद्रित कर योजनाएं प्रारंभ की है, जो आज समाज के लिए लाभकारी भी सिद्ध हुई है. मोदी देश में सुशासन के प्रतीक बन गए हैं. इन सबसे अलग जिन विषयों के लिए उनका कार्यकाल एवं उनका दूरदर्शी नेतृत्व सदैव प्रेरणादायक रहेगा, उन विषयो को वोट की तराजू पर नहीं तौला जा सकता. चुनाव की जीत हार के भय के बिना साहसिक एवं युगांतकारी निर्णय लेना एवं उनको क्रियान्वित कराना मोदी जैसा साहसी व्यक्ति ही कर सकता है. समाज में जागरूकता, भविष्य की चुनौतियों से लड़ने योग्य समाज खड़ा करना एवं भारतीय लोकतंत्र में पनपने वाले संभावित दोषों को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को लंबे समय तक स्मरण किया जाएगा.

समाज जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में देशहित के लिए कार्य करने वाले श्रेष्ठ महानुभावों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा देने के लिए पद्म पुरस्कारों की परंपरा है. प्रतिवर्ष महामहिम राष्ट्रपति द्वारा इन पुरस्कारों को दिया जाता है. हम सभी को अनुभव आता था कि धीरे-धीरे इस व्यवस्था में क्षरण आ रहा है. दल का समर्थन, किसी एक निश्चित विचार एवं तरह-तरह के प्रलोभनो के माध्यम से पदम पुरस्कार प्राप्त किए जा सकते हैं, यह धारणा समाज मे पनप रही थी. प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छे एवं समाज को दिशा देने वाले कार्य करने वाले सज्जन पुरुषों को पदम पुरस्कारों के लिए चयन करने की परम्परा प्रारम्भ की. इस कारण सुदूर उत्तर पूर्वांचल हो अथवा देश का ग्रामीण एवं जनजाति क्षेत्र हो, ऐसे क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को अब पदम पुरस्कार मिल रहे हैं. सहसा जब पदम अवार्डी को उसके चयन होने की सूचना मिलती है, उसको भी आश्चर्य होता है. जब नंगे पैर, सामान्य सी धोती पहनकर महामहिम राष्ट्रपति से पुरस्कार लेने कोई महिला आती है तो देख कर देश भी विस्मित हो जाता है.

हम अनेक देशों के उदाहरण पुस्तकों एवं संस्मरणों के माध्यम से पढ़ते अथवा सुनते हैं कि वहां बड़ा दायित्व सम्हालने वाले एवं सामान्य नागरिक सभी समान हैं. वहां वीआईपी कल्चर नहीं है. ठीक इसके विपरीत भारत में कौन कितना बड़ा वीआईपी है, इसकी होड़ मची है. व्यवस्था के विपरीत सुविधा प्राप्त करना ही बड़े होने का लक्षण हो गया है. नरेंद्र मोदी ने स्वयं मेट्रो ट्रेन में चलकर इसका संदेश दिया कि हम सब देश के सेवक हैं, इस कारण सामान्य हैं. आज चेक पोस्ट एवं टोल प्लाजा पर टोल न देने के लिए संघर्ष एवं नेता के लिए ट्रेन अथवा हवाई जहाज का विलंब होना केवल कहानियां मात्र रह गई है. राजनीतिक नेतृत्व में विशेष होने के स्थान पर सामान्य होने का भाव जगना देश को दूरगामी दिशा देगा.

हम प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस वाक्य को सुनते हैं कि दिल्ली से हम यदि ₹1 विकास कार्य के लिए भेजते हैं तो लाभार्थी तक 15 पैसे पहुंचता हैं. देश की व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर यह उनकी कष्टदायक टिप्पणी है. ऐसी सभी बातों को सही सिद्ध करने के लिए राजनीतिक दल एवं नेता यह भी कहते हैं कि राजनीति में सब चलता है. मोदी ने सब चलता है इसको अस्वीकार कर जो चलने योग्य है वही चलेगा इसको स्थापित किया. भ्रष्टाचार देश का सबसे बड़ा दुश्मन है यह नहीं चलेगा इस सिद्धांत को स्थापित किया. तकनीकी का उपयोग कर आज ₹1 भेजते हैं तो ₹1 ही पहुंचता है. यह सिद्ध किया. D.B.T स्कीम के लागू होने से धन की बड़ी बचत, फर्जी योजनाओं एवं गलत आंकड़ों को चिन्हित करके धन की बर्बादी को रोकना एवं लाभार्थी तक उचित लाभ पहुँचाने मे सफलता प्राप्त की है. ईमानदारी से सरकार चलाई जा सकती है.अधिक प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा बनाई भी जा सकती है यह सिद्ध किया.

हम सभी लोकमान्य तिलक को गणेबोत्सव, महात्मा गांधी को अछुतोद्धारक के रूप में जानते हैं. इन महापुरुषों ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करते हुए भी समाज को जागृत करने के लिए समाज हित के इन उपक्रमों को प्रारंभ किया. भविष्य में हमको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. विश्व के प्रगतिशील देशों की तुलना में आने के लिए हमारे समाज में किन गुणों की आवश्यकता है. इसका अचूक मार्गदर्शन 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने किया. उनकी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, नमामि गंगे एवं लोकप्रिय स्वच्छता अभियान इसी के उदाहरण हैं. जन्म दर से लेकर सेना एवं अंतरिक्ष तक मातृशक्ति की भागीदारी एवं सम्मान स्तुत्य है. केवल गंगा ही नहीं देश की समस्त नदियां एवं जल के प्रति हमारा उचित दृष्टिकोण देश में विकसित हुआ है. स्वच्छता अभियान का परिणाम हम सभी सर्वदूर अनुभव कर रहे हैं. सामान्य नागरिकों से लेकर छोटे बच्चों तक के मन में भारत को स्वच्छ रखना है यह जागरूकता आयी है. वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता जैसे कार्यक्रमों ने मोदी जी को 130 करोड़ लोगों का नायक बना दिया है. दलगत, जातिगत, क्षेत्रगत भावों से ऊपर उठकर संपूर्ण समाज उनके नेतृत्व में इन विषयों को लेकर सक्रिय है. भारत माता को हमको गन्दी करने का अधिकार नही है, उनका यह आह्वान समाज में व्यवहारिक देश भक्ति जगाता है.

आत्मनिर्भर भारत ही आर्थिक दृष्टि से समृद्ध एवं देश में रोजगार सृजन का माध्यम हो सकता है. इस आत्मनिर्भरता के मंत्र को साकार करते हुए उन्होंने खादी के उपयोग का आह्वान किया. रक्षा क्षेत्र के उपकरण अपने देश में बनाने की प्रेरणा दी. कोरोना कालखंड में हमने विश्व के अनेक देशों को दवाई एवं स्वास्थ्य सेवा संबंधी उपकरण दिए. जिलों के छोटे-छोटे उत्पादों को प्रोत्साहन आदि के माध्यम से भारतीय हुनर को आगे लाने का प्रयास किया. जनजाति शिल्प को आगे बढ़ाया. वर्ष भर में सभी एक बार खादी वस्त्र अवश्य खरीदें इसका आह्वान किया. इसका परिणाम हुआ खादी क्षेत्र में लगे कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान आ गई. विकास की दिशा को निर्धारित करते हुए गरीब एवं पिछड़ो को विकास के केंद्र बिंदु में लाने का प्रयास किया. आज मोदी सरकार की उज्जवला, प्रधानमंत्री आवास जैसी अनेकों योजनाएं विकास गाथा को कह रही है. जिन घरों में बिजली नहीं पहुंची थी वहां भी विद्युतीकरण संपन्न हो गया. हर घर को पीने योग्य जल “हर घर, नल से जल” योजना पर कार्य चल रहा है. विकास की दौड़ में छूटे जिलों को चिन्हित कर उनका विकास इस पर ध्यान केंद्रित है. प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इसकी समीक्षा करते हैं. आकांक्षी इस योजना से पिछड़े जिले विकसित जिलों की बराबरी का प्रयास कर रहे हैं. इसका परिणाम है कि अब समस्त दलों में चुनाव का एजेंडा दबंगता, जाति, संप्रदाय से हटकर विकास बन रहा है. गरीब एवं पिछड़ों को लगता है मोदी हमारा मसीहा है.

देश की अन्तर्बाह्य सुरक्षा को आधार मानते हुए आतंक पर जीरो टॉलरेंस एवं सीमाओं की सुरक्षा के प्रति समाज में विश्वास जगा है. नक्सलवाद प्रभावित जिलों की संख्या लगातार सीमित होते जाना सुरक्षा पर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराता है. बंगाल एवं छत्तीसगढ़ में प्रादेशिक सरकारों द्वारा चुनाव जीतने के लिए नक्सली समूहो से समझौता समाज में चिंता खड़ी करता है. लेकिन सभी को लगता है, मोदी है तो चिंता नहीं. पाकिस्तान के द्वारा आतंक को बढ़ावा देने के बाद भी सीमाओं की सुरक्षा, आतंकियों पर प्रहार ने कश्मीर सहित देश में सुरक्षा के प्रति विश्वास जगाया है. 370 की समाप्ति के कारण कश्मीर में विकास की बयार चल पड़ी है.

भारतीय सर्व समावेशी सनातन संस्कृति के प्रति अगाध आस्था मोदी के जीवन का वैशिष्ट्य है. इस कारण विश्व भर मे प्रवास करते समय वह जहां भी गए उन्होंने इस को प्रकट किया है. नवरात्रि के व्रत में केवल नींबू एवं गर्म जल पर रहना, बौद्ध मंदिर, गुरद्वारा एवं मंदिर दर्शन सदैव उनके प्रेरणा केंद्र रहे है. भारत की प्राचीन आरोग्य के लिए लाभप्रद विद्या योग एवं आयुर्वेद को उन्होंने स्थापित किया है. दुबई में मंदिर, केदारनाथ जी के मंदिर को भव्यता, काशी विश्वनाथ का सौंदर्यीकरण, राम मंदिर का शिलान्यास जैसे कार्य उनको अभिनन्दनीय बनाते हैं. समाज के अनेक लोग तुलना करते हुए कहते हैं कि देवी अहिल्याबाई के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल सनातन भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए स्मरणीय कालखंड होगा.

विश्व के समस्त नेताओं की रेटिंग में उनका सर्वप्रथम आना, विश्व भर में फैले भारतीयों के मन में उनके प्रति अगाध श्रद्धा एवं देश के समस्त नागरिकों में उनके प्रति विश्वास प्रधानमंत्री मोदी को देश और दुनिया के समस्त नेताओं की श्रृंखला में विशिष्ट स्थान पर स्थापित करता है. वास्तव में मोदी एक राजनेता ही नहीं वह जननायक हैं, दूरद्रष्टा है, पथ प्रदर्शक हैं. उन्होंने विश्व में भारत की गरिमा को बढ़ाया है. भारत को भारतीयत्व दिया है जिसकी उन जैसे महामानव से अपेक्षा ही थी. इस अनथक योद्धा से हम भारतीय प्रेरणा लेकर सक्रिय बने. पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि “भारत माता की जय का अर्थ समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतीय चिंतन के आधार पर नीतियों का क्रियान्वयन है.” प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम सभी इस संकल्प को पूर्ण करें. ग्राम एवं बूथ से लेकर दिग-दिगंत तक भारत माता की जय का उद्घोष होना अभी शेष है.

लेखक- शिव प्रकाश 

भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) और छत्तीसगढ़ के संगठन प्रभारी हैं.