रायपुर- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर देश को ग़ुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि खोटा सिक्का अब छत्तीसगढ़ में चल नहीं रहा है तो दूसरे प्रदेशों में जाकर चलाने की हास्यास्पद कोशिश की जा रही है. बेरोज़गारी के मुद्दे पर बिहार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री द्वारा 15 हज़ार शिक्षकों की भर्ती समेत विभिन्न विभागों में भर्तियां किए जाने की बात कही गई. भगवान बुद्ध की धरती पर यह सफेद झूठ बोला जाना हैरत की बात है.
साय ने मुख्यमंत्री बघेल को चुनौती दी है कि यदि शिक्षक की भर्ती इस सरकार ने की है तो एक शिक्षक का नियुक्ति पत्र दिखाएं, अन्यथा अपने इस झूठ से छत्तीसगढ़ के युवा अभ्यर्थियों का मखौल उड़ाने और भगवान बुद्ध की धरती पर झूठ बोलने के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगकर प्रायश्चित करें. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोज़गारी ने युवाओं को इतना हताश-निराश कर रखा है कि युवा अब लगातार आत्मघात करने के लिए विवश हो रहे हैं और मुख्यमंत्री प्रदेश के सभी विभागों में भर्तियाँ रोककर सबको रोज़गार देने का दावा करते फिर रहे हैं! साय ने कहा कि सच्चाई यह है कि शिक्षक अभ्यर्थी प्रदेश सरकार की नीतियों से संत्रस्त हो चले हैं, आंदोलन पर उतर आए हैं और अपने हक़ के लिए लड़ने वालों पर विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज कर प्रदेश सरकार भयादोहन की राजनीति कर रही है.  उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में जो पुलिस भर्ती प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी, उसमें भी अड़ंगा डालकर उसे रुकवाने का काम किया है. उच्च शिक्षा के अध्यापन के लिए भी नियुक्तियों का प्रदेश सरकार का दावा इसी तरह फ़र्जी है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि दरअसल प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी नहीं, बल्कि अपने ‘परिवार-दरबार’ की बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रही है! रोज़गार देने और रोज़गार मुहैया होने तक 25सौ रुपए प्रतिमाह बेरोज़गारी भत्ता देने का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस की यह भूपेश-सरकार अब चुप्पी साधे बैठी है. छत्तीसगढ़ में 25 लाख पंजीकृत बेरोज़गार हैं। कांग्रेस न तो इनको रोज़गार दे पाई है और न ही आज तक एक पाई बेरोज़गारी भत्ते के तौर पर युवकों को इस सरकार ने दिया है. हाल ही एक युवा द्वारा रोज़गार की मांग करके आत्महत्या की कोशिश करने के मामले की याद दिलाकर साय ने कहा कि रोज़गार देने के झूठे दावे करने वाली सरकार की ज़मीनी सच्चाई यह है कि प्रदेश में 05 हज़ार युवकों को नौकरी से निकाला गया है.