रायपुर. नगरीय निकायों द्वारा बांटे जाने वाले हरे-नीले डिब्बों का रंग नियमों के अनुसार न होने के कारण दर्ज की गई आपत्ति को गंभीरता से लेते हुए शासन ने सूडा (राज्य शहरी विकास अभिकरण) को आदेशित किया है कि नियमों के अनुसार निर्धारित हरे-सफेद-काले रंगों के डिब्बे कचरा इकट्ठा करने के लिये क्रय करने की कार्यवाही करें. कचरे के डिब्बों के लिए हरे और नीले रंगों का चयन सूडा ने किया था.

गौरतलब है, कि रायपुर बिलासपुर और पूरे प्रदेश में हरे रंग के डिब्बे-गीला कचरा इकट्ठा करने के लिये और नीले रंग के डिब्बे-सूखा अर्थात रिसाइक्लेबल कचरे को इकट्ठा करने के लिये बांटे जा रहे हैं जबकि भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के नियम 15(ज) के अनुसार हरा रंग का डिब्बा-गीले कचरा को इकट्ठा करने के लिये, सफेद रंग का डिब्बा- रिसायकलेबल कचरा को इकट्ठा करने के लिये, काले रंग का डिब्बा- अन्य कचरा अर्थात CFL बल्ब, टयूब लाईट, पेंट के डिब्बे, एक्सपाईयरी दवाईयों, टूटे थर्मामीटर, पुरानी मोबाइल और अन्य बैटरी, कम्प्यूटर केबल वायर इत्यादि को इकट्ठा करने के लिये उपयोग में लिया जाना चाहिये.

नगर निगम सूखा कचरा इकट्ठा करने के लिये सफेद रंग की जगह नीले रंग के डिब्बा बांट रहा है. जबकि नीले रंग के डिब्बे बायोमेडीकल वेस्ट मैनेजमेन्ट नियम 2016 के तहत कांच के इंजेक्शन और दवाई की शीशियां इत्यादि डालने के लिये ही उपयोग में लाये जा सकते हैं.

इस संबंध में शंकर नगर निवासी नितिन सिंघवी ने डा. रोहित यादव सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का ध्यान केन्द्र शासन के नियमों की तरफ आकर्षित किया था जिसके उपरांत शासन ने दिनांक 29 दिसम्बर 2017 को डिब्बों का रंग हरा-सफेद-काला रखने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने हेतु सूडा को निर्देश जारी किये हैं.

सिंघवी ने बताया कि वर्ष 2000 से ही पूरे देश में डिब्बों के रंगों में एकरूपता रखने हेतु हरे-सफेद-काले रंगे के डिब्बों हेतु नियम बने हैं जिससें किसी नागरिक को दूसरे प्रदेश में जाने पर कचरा फेंकने के लिये डिब्बा चयन में समस्या न हो. स्पष्ट नियमों के बावजूद अलग-अलग रंगों के डिब्बे जगह-जगह पर रखे हैं जैसे कि रायपुर शहर में ही केसरिया, आसमानी, नीले रंग के डिब्बे जगह-जगह पहले से ही लगा रखे हैं. 17 वर्षों में न तो किसी स्थान पर काले रंग का डिब्बा खरीदा गया न ही कहीं लगाया गया.