रायपुर। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरम लाल कौशिक का नेता-प्रतिपक्ष बनना आसान नहीं होता अगर उस पर रमन सिंह ने उनका नाम आगे नहीं बढ़ाया होता. अगर कौशिक ओबीसी वर्ग से नहीं होते. क्योंकि नेता-प्रतिपक्ष बनने की के लिए दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल और ननकी राम कंवर ने भी पूरी ताकत झोंकी थी. ऐसे में भारी जद्दोजेहद और केन्द्रीय मंत्री के समक्ष तानातनी के बीच ही कौशिक का चुनाव नेता-प्रतिपक्ष के लिए हो सका.

11 दिसंबर को नतीजे आने के बाद से ही मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और ननकी राम कंवर ने नेता-प्रतिपक्ष की बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी. लेकिन एक लंबा वक्त तय होने के बाद भी कौशिक का नाम सामने नहीं था. हालांकि इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नाम को लेकर चर्चा जरूर हुई थी. रायपुर से लेकर दिल्ली तक तगड़ी लॉबिंग चली. छत्तीसगढ़ के भीतर में स्थिति बिगड़ते देख गुरुवार को दिल्ली में भाजपा की बैठक भी हुई. बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और प्रभारी अनिल जैन को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया. विधायक दल की आज बैठक हुई. बैठक के बाद ढाई घंटे तक विधायकों के बीच गहमा-गहमी महौल पर चर्चा होती रही. फिर भी आम सहमति बनाने की स्थिति पर्यवेक्षक नहीं एक राय नहीं बना पाए.

केन्द्रीय मंत्री गहलोत को विधायकों से वन टू वन चर्चा करनी पड़ी. लेकिन फिर भी बात नहीं बनी. ऐसी स्थिति में डॉ. रमन सिंह ने पहले ही कौशिक का नाम आगे कर दिया था. लिहाजा उसी नाम पर विधायकों के बीच सहमति बनाने की कवायद चलती रही. लेकिन इनके बीच बृजमोहन अग्रवाल और ननकी राम कंवर अड़े रहे हैं. उन्हें मनाने की कोशिश जारी रही. यहां तक के केन्द्रीय स्तर के नेताओं और मंत्रियों को भी इन्हें मनाने फोन करना पड़ा.

लेकिन तमाम परिस्थितियों के बीच आखिर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ओबीसी फैक्टर को देखते हुए और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पंसद का ख्याल रखते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरम लाल कौशिक को नेता-प्रतिपक्ष बनाने का ऐलान हुआ.