दुर्ग। रिश्वतखोरी के एक मामले में कोर्ट ने पुलिस में पदस्थ प्रधान आरक्षक को 3 साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी के ऊपर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
मामला 2010 का है अर्जुंदा थाना क्षेत्र के हड़गहन में रहने वाले संतराम साहू, उसके पुत्र तथा एक और व्यक्ति के खिलाफ गांव के ही रहने वाले मयाठाकुर ने जातिगत गाली गलौच करने की शिकायत दर्ज कराई थी. मामले की जांच विशेष थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख कर रहे थे. आरोपी प्रधान आरक्षक ने मामले को रफा दफा करने के लिए प्रार्थी संतराम साहू से 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी. पैसे नहीं देने पर आरोपी प्रधान आरक्षक ने संतराम के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी थी. दोनों के बीच में 7 हजार रुपए पर समझौता हुआ. उधर संतराम ने इसकी शिकायत एसीबी से भी कर दी थी. जिसके बाद एसीबी ने प्रार्थी से 3 हजार रिश्वत लेते आरोपी प्रधान आरक्षक भगवानी राम देशमुख को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.
मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपी प्रधान आरक्षक को 3 साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माने का दंड दिया. जिसके बाद आरोपी ने न्यायालय में अर्थदंड की राशि 50 हजार रुपए जमा कर दिया है. वहीं न्यायालय ने आरोपी उच्च न्यायालय में अपील के लिए समय देते हुए जमानत दी है. अगर आरोपी को 1 माह में स्टे नहीं मिला तो उसे जेल जाना पड़ सकता है.