रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के दौरान कांग्रेसी विधायक जमकर हंगामा कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक राज्यपाल द्वारा लौटाने जाने की सूचना सदन को दी गई. इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है. इस पर कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब विधेयक राज्यपाल ने लौटाया है, तो सरकार कैसे विधेयक वापस लेने का ऐलान कर सकती है. ये संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन हैं.
सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि पक्ष के आदिवासी मंत्री और विधायकों ने इस विधेयक का क्यों विरोध नहीं किया. हमें बोलने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने जब कैबिनेट से इस बिल को लेकर कुछ पूछा ही नहीं, तो फिर कैसे कैबिनेट ने बिल को लेकर निर्णय ले लिया.
विपक्ष ने सरकार के फैसले को गलत और गुमराह करने वाला बताया. पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कहा कि ये असंवैधानिक कृत्य सरकार ने किया है. ये कैबिनेट का विषय ही नहीं है. जब विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था, तो फिर किस नियम से कैबिनेट में इसे सरकार ने वापस लेने का फैसला किया. ये सदन की अवमानना भी है. विपक्ष ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई है और सरकार पर सदन की अवमानना का आरोप लगाया.
वहीं विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि एक तरफ सरकार कैबिनेट में विधेयक वापस लेने की घोषणा करती है और मुख्यमंत्री बस्तर में आभार रैली निकलते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं थी, क्योंकि अगर नीयत साफ होती, तो विधेयक आता ही नहीं.
टी एस सिंहदेव ने भी साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने कहा कि क्या कैबिनेट विधानसभा से भी ऊपर हो गई है. जब विधानसभा में वोट के जरिए बिल पारित किया गया. उन्होंने कहा कि इस अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को सदन में माफी मांगनी चाहिए.
मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने किया सरकार का बचाव
मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा कि हमने आदिवासियों की भावना का सम्मान किया. विपक्ष आदिवासियों के नाम पर केवल राजनीति करती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कैबिनेट में जो निर्णय किया, उसमें कहीं भी अवमानना नहीं है. हम आदिवासियों की बात सुनेंगे. प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा कि हम कांग्रेस की बात नहीं सुनेंगे. हम आपके हिसाब से नहीं चलेंगे. हम संविधान के हिसाब से चलेंगे.
राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने कहा कि सरकार ने कोई असंवैधानिक कृत्य नहीं किया. सरकार का काम है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखकर कैबिनेट में निर्णय ले. विधानसभा में बिल भी लाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास करना होता है. वहीं राज्यपाल को ये अधिकार है कि किसी बिल को स्वीकृति दे या फिर वापस लौटाए. सरकार ने जो कार्य किया, वो भी पूरी तरह से उचित है.