शब्बीर अहमद, भोपाल। एमपी की सियासत में एक बार फिर बंगला पॉलिटिक्स की एंट्री हो गई है. कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और वरिष्ठ विधायक किराय के घर मे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनकों सरकार की तरफ से मिलने वाला बंगला नहीं मिला है. ऐसे एक दो नहीं कई ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं जिनको बंग्ला नहीं मिला हैं.

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किराये के घर रहने को मजबूर दिग्गज

एमपी की सियासत में बंगला पॉलिटिक्स हमेशा हावी रही है विपक्ष के नेता हमेशा सत्ता पक्ष पर भेदभाव के आरोप लगाते है चाहे सरकार मे कांग्रेस हो या फिर बीजेपीइस बार कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरोप लगा रहे है कि उनकों बंग्ला नहीं मिल रहा है मजबूरी में उन्हें किराये के घर में रहना पड़ रहा है. ये नेता कमलनाथ सरकार में कई बड़े विभाग संभाल चुके हैं जिसमें पहले नंबर पर पूर्व पीडब्लूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा,पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन,पूर्व संस्कृति विजय लक्ष्मी साधौ है ये वो नेता है जो कई बार के विधायक हैं लेकिन बंगला नहीं मिला रहा है. सज्जन सिंह वर्मा सरकार आरोप लगाते है. जो पात्र नहीं उन्हें बंगला मिल रहा जो हैं उन्हें नहीं.

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कोर्ट तक पहुंची है बंगले की लड़ाई

मध्यप्रदेश में जब जिसकी सरकार होती है तब वो अपने हिसाब से बंग्लों का आवंटन करता है 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तब कमलनाथ ने अपने पंसदीदा नेताओं को बड़े-बड़े बंग्ले आवंटित किए लेकिन 2020 में जब तख्तापल्ट हुआ तो कई दिग्गज नेताओं को बंग्ले छोड़ने पड़े नोटिस चिपकाया गया, कोर्ट तक मामला पहुंचा, कई नेताओं को रुसवा होकर बंगला छोड़ना पड़ा. कांग्रेस के आरोपों पर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि जो नियम है उसके हिसाब दिया जाता हम भेदभाव नहीं करते हैं.

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कांग्रेस के विधायक जो सवाल उठ रहे है वो सही भी है, क्योंकि कई बार के विधायक होने के बाद भी उन्हें बंगला नहीं मिल रहा है और उधर इमरती देवी, दीपक जोशी जैसी नेताओं की लंबी लिस्ट जो न विधायक हैं और न मंत्री लेकिन उन्हें बंगला आवंटित हैं.

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