शब्बीर अहमद, भोपाल। छतरपुर के बक्सवाहा में जंगल को काटने से बचाने के लिए लगाई गई याचिका में एनजीटी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। जज ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले में शाम तक फैसला आने की उम्मीद है।
एक घंटे तक चली सुनवाई में याचिकाकर्ता पीजी पांडे, रजत भार्गव की तरफ से वकील प्रभात यादव ने न्याायलय के सामने अपना पक्ष रखा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जंगलों में चट्टानों पर चित्र मिले हैं जो 25 से 30 हजार साल पुराने हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को इसमें पार्टी बनाया जाए और जब तक उनकी रिपोर्ट ना आ जाए तब तक स्टे दिया जाए।
वहीं मामले में दूसरे याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि जंगल काटने से वहां रह रहे वन्य जीवों को दिक्कतें आएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पानी की कमी झेल रहे बुंदेलखंड में जंगल कटने के बाद वहां पानी की किल्लतें बढ़ जाएगी। उधर कंपनी के वकील ने न्यायालय को बताया कि बक्सवाहा के जंगल में कंपनी ने काम शुरु नहीं किया है।
आपको बता दें बक्सवाहा के जंगल में डायमंड माइनिंग के लिए आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को कटाई की अनुमति दे दी है। डायमंड माइनिंग के लिए 2.15 लाख से ज्यादा पेड़ों को काटा जाएगा। इसके विरोध में देश के पर्यावरणविद् लामबंद हो गए हैं और जंगल काटने का विरोध किया जा रहा है।
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