सुप्रिया पांडेय, रायपुर। आप ठीक हैं… समय पर दवाई तो ले रहे हैं ना… आपको जो सुविधाएं प्रदान की जा रही है उससे आप संतुष्ट है या नहीं… यह तमाम बातें जिला प्रशासन की ओर से हर उस मरीज को बताई जा रही है, जो होम आइसोलेशन में है. कोरोना काल में राजधानी रायपुर में जिला प्रशासन आम जनता की मदद के लिए 24 घंटे तैयार है. आम जनता रात में 3 बजे भी यदि एमरजेंसी नम्बर पर फ़ोन करती है तो उनके लिए तत्काल एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाती है.

कोरोना काल में कॉल सेंटर के जरिए आम लोगों को मिल रही मदद अंधेरे में उजियारे की तरह है. इसकी मदद से जिनके लिए दूसरे विकल्प बंद हो जा रहे हैं, उनकी भी उचित उपचार व्यवस्था की जा रही है. बीते दिनों में आए ऐसे दो प्रकरणों को लल्लूराम डॉट कॉम आपके साथ साझा कर रहा है, जिससे आपको जिला प्रशासन की सक्रियता के साथ कॉल सेंटर की त्वरित सेवा का भरोसा हो जाएगा.

केस 1

शंकर नगर निवासी एक गर्भवती महिला अंजली को जिला प्रशासन द्वारा रात पौने 3 बजे के करीब तत्काल एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की गई. कोरोना पॉजिटिव अंजली ने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना, जिला प्रशासन के द्वारा रोज उन्हें फ़ोन कर जानकारी ली जाती थी. उनके पति गणपत बताते हैं कि जिला प्रशासन की ओर से रोज फोन कर टेम्परेचर व पल्स रेट की जानकारी ली जाती थी. देर रात मेरी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो जिस नर्सिंग होम में पत्नी का इलाज चल रहा था, वहीं संपर्क किया. लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से उन्होंने एडमिट करने से इंकार कर दिया.

ऐसे में कॉल सेंटर में संपर्क किया. देर रात असिस्टेंट नोडल अफसर अंजली ड्यूटी पर थी, उन्होंने एडीएम विनित नंदनवार को फोन किया. समस्या सुनने के 10 से 15 मिनट के अंदर ही आईएएस विनित नंदनवार और डॉ अंजली ने सारी व्यवस्थाएं कर दी आधे घंटे के अंदर महिला को मेकाहारा में भर्ती कर लिया गया. आज सुबह अंजली ने खुबसूरत बेटी को जन्म दिया.

केस 2

टीचर्स कॉलोनी के रहवासी बताते है कि वो औऱ उनकी पत्नी दोनों कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिन्होंने होम आइसोलेशन का विकल्प लिया. वे बताते हैं कि प्राइवेट डॉक्टर से ऑनलाइन सलाह ली जा रही थी, लेकिन जब एमरजेंसी का समय आया तो प्राइवेट डॉक्टर ने जिला प्रशासन से मदद की सलाह दी. देर रात मेरी पत्नी और मैंने जिला प्रशासन द्वारा जारी एमरजेंसी नंबर पर कॉल किया, जिन्होंने एम्बुलेंस की व्यवस्था कर हमें मेकाहारा पहुंचाया. मेरी पत्नी 3 माह की गर्भवती है.

जिला प्रशासन ने की है पर्याप्त व्यवस्था

एडीएम विनीत नंदनवार ने बताया कि रायपुर जिले में लगभग 800 से 1000 के आसपास प्रतिदिन पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं, इसमें लगातार 60 से 70 प्रतिशत मरीज लक्षण रहित या कम लक्षण वाले हैं. होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए दो तरह के डॉक्टर की व्यवस्था की गई है. हमारे पास 100 के आसपास प्राइवेट डॉक्टर है, और साथ ही 60 डॉक्टर सरकारी है. प्राइवेट डॉक्टर 2500 रुपए प्रति घर के हिसाब से लेते हैं. मरीजों को होम आइसोलेशन की परमिशन डॉक्टर ऑनलाइन ही प्रोवाइड कर देते हैं. डॉक्टर की देखरेख में मरीज 10 दिन होम आइसोलेशन में रहते हैं, और 7 दिन होम क्वारंटाइन में रहते हैं. इस प्रकार कुल 17 दिन की अवधि कंम्पलीट करते है.

होम आइसोलेशन के लिए आपातकालीन कक्ष बनाया हुआ है. यदि होम आइसोलेशन की अवधि के दौरान कोई व्यक्ति बीमार होता है, या फिर उसे मेडिकल सलाह चाहिए तो वह हमारे तीन आपातकालीन नंबर पर वे कॉल कर सकते हैं. कॉल सेंटर पर बैठने वाले काउंसलर भी डॉक्टर ही होते है, जो प्रतिदिन मरीज से पूछते है कि आपको जो सुविधाएं प्रदान की जा रही है, उससे आप संतुष्ट है या नहीं. क्या आप समय पर दवाई ले रहे हैं. पूरे प्रकरण में 24 घंटे के लिए सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है. जिले में नियुक्त नायब तहसीलदार अलग-अलग पाली में ड्यूटी करते हैं.