चंडीगढ़। पंजाब लोक कांग्रेस (PLC) के प्रमुख कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों के निरस्त होने और अन्य मुद्दों के खिलाफ 15 महीने के लंबे आंदोलन की विजयी परिणति पर गुरुवार को किसानों को बधाई दी. उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे कृषक समुदाय की प्रगति के लिए और अधिक रचनात्मक राजनीतिक वातावरण का मार्ग प्रशस्त होगा, क्योंकि किसान भारत के आर्थिक विकास और स्थिरता की रीढ़ हैं. आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान संघों के छत्र निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कहा कि उसने अपनी मांगों पर सरकार से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया है. शनिवार तक दिल्ली की सीमाएं साफ कर दी जाएंगी. एसकेएम ने यह भी कहा कि वह 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेगा.

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह खुश हैं कि किसानों की लड़ाई अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच गई है और उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारें सैद्धांतिक रूप से उनका पालन करने के लिए सहमत हैं. उन्होंने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने के पंजाब में अपनी पूर्ववर्ती सरकार के फैसले की याद दिलाई. अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में क्रमश: 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और मृत किसानों के परिवार में से एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की थी. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बयान में कहा कि आंदोलनकारी किसान, खेतिहर मजदूर और उनके परिवार पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए थे, वे अब वापस अपने घर आ जाएंगे.

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अमरिंदर सिंह ने उम्मीद जताई कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लंबित मुद्दा, जिसके लिए केंद्र ने अब एक समिति का गठन किया है, किसानों की संतुष्टि के लिए जल्द ही हल किया जाएगा. उन्होंने आगे आशा जताई कि किसान समुदाय से संबंधित सभी भविष्य के कानून पर निर्णय सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद आपसी सहमति से लिए जाएंगे. अमरिंदर सिंह ने किसानों के प्रति अपनी पार्टी के समर्थन पर जोर देते हुए कहा कि वह पहले की तरह उनके हितों की रक्षा और उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अपनी शक्ति के दायरे में काम करना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने न केवल तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए किसानों की लड़ाई का समर्थन किया था, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया था कि किसान जब भी विरोध में बैठे हों, उन्हें किसी भी तरह से परेशान न किया जाए.