सुशील शर्मा, भिंड। भिण्ड जिला जेल में शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया है. जेल की एक बैरक सुबह भर-भराकर गिर गई. हादसे में बैरक में मौजूद 22 कैदी दब गए. हादसे की वजह कुछ और नहीं बल्कि शासन-प्रशासन की लापरवाही है. जेल के जर्जर हो जाने के बाद 2006 से ही नई जेल का निर्माण कार्य चल रहा था. लेकिन सिस्टम के ढर्रे पर एक दशक बाद भी नहीं बन पाई. आज करीब 15 साल बीत चुके हैं लेकिन जेल का निर्माण कार्य ठप पड़ा है.

वहीं घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. जिसमें देखा गया कि कैदी और अंदर मौजूद पुलिसकर्मी जेल की पिलर को देख रहे थे, कि पिलर दरक गई थी. पिलर की स्थिति देखकर पहले ही पता चल गया था कि हादसा कभी हो सकता है. जिसके चलते अंदर अफरा तफरी मच गई थी. हादसे के बाद जेल में बचे हुए 234 क़ैदियों को ग्वालियर की सेंट्रल जेल में शिफ़्ट किया गया. सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जिसमें कि 2 की हालत गंभीर है. जिन्हें इलाज के लिए ग्वालियर रेफर कर दिया गया है.

जेल प्रबंधन के मुताबिक हादसा सुबह सवा पांच बजे का है. जेल में 6 बैरक हैं जिसमें 255 कैदी बंद है, आज सुबह अचानक बैरक नंबर 6 भरभराकर गिर गया. जिस दौरान हादसा हुआ उस दौरान सभी 64 कैदी बैरक के अंदर ही मौजूद थे.

इसे भी देखें ः फर्जी नोटशीट से ट्रांसफर मामले में क्राइम ब्रांच ने 30 अधिकारियों को भेजा नोटिस, कल होगी पूछताछ

जानकारी के मुताबिक जेल 150 साल पुरानी है. जो 1958 में बनी थी. मामले में पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही भी सामने आई है. जेलर ने बताया कि कुछ दिनों से जेल में पानी टपक रहा था. चार दिन पहले PWD विभाग को इसकी मरम्मत के लिए पत्र भी लिखा था. लेकिन, इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

एक दशक बाद भी नहीं बनी नई जेल

एक दशक से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी भिंड में नई जेल का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है. 2006 में भिंड में बनने वाली नई जेल का काम शुरु हुआ था. जिसका निर्माण एक दशक बाद भी नहीं हो पाया. करीब 15 साल के लंबे इंतजार के बाद नई जेल में बनी बिल्डिंग भी जर्जर हो रही है. जबकि जेल का निर्माण कार्य अभी भी जारी है.

इसे भी देखें ः जीवाजी यूनिवर्सिटी के छात्र ने बनाई लाखों वुड पिनों से अनोखी पेंटिंग, वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए पेश किया दावा