नई दिल्ली। हैदराबाद निजाम के भारत में विलय के 75 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का फैसला लिया है. लेकिन नाम को लेकर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को आपत्ति है. ओवैसी ने ‘मुक्ति दिवस’ की बजाए ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ की वकालत की है. वहीं दो पाटन के बीच फंसी सत्तासीन तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार ने 3 दिन का ‘तेलंगाना नेशनल इंटीग्रेशन डे’ मनाने का फैसला किया है.

केंद्र सरकार के कार्यक्रम के अनुसार, हैदराबाद के भारत से विलय पर 17 सितंबर 2022 से लेकर 17 सितंबर 2023 तक सालभर कार्यक्रम आयोजित किया जाएंगे. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि 17 सितंबर को हैदराबाद परेड मैदान में आयोजित होने वाले उद्घाटन समारोह में गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि होंगे. कार्यक्रम में तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर आमंत्रित किया गया है.

उन्होंने मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी में कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बाद भारत सरकार ने हैदराबाद राज्य मुक्ति की 75वीं वर्षगांठ मनाने का निर्णय लिया है. भारत सरकार ने इस उपलक्ष्य में 17 सितंबर 2022 से 17 सितंबर 2023 तक साल भर चलने वाले कार्यक्रमों के आयोजन को मंजूरी दी है. रेड्डी ने तीनों मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने राज्यों में उद्घाटन दिवस मनाने के लिए उचित कार्यक्रम आयोजित करने का भी अनुरोध किया है.

भारत को भले ही आजादी 15 अगस्त 1947 को गई, लेकिन हैदराबाद की निजाम रियासत का भारत में विलय 17 सितंबर 1948 को हुआ था. इसके लिए भारत सरकार को ‘ऑपरेशन पोलो’ चलाना पड़ा था. निजाम के सत्ता के अधीन आने वाली हैदराबाद रियासत में आज का पूरा तेलंगाना, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेंड, उस्मानाबाद, और कर्नाटक के कलाबुर्गी, बेल्लारी रायचूर, यादगिर, कोप्पल, विजयनगर और बिदर जैसे जिले आते थे.

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