रायपुर. दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी, जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर प्रदेश सरकार को घेरा था. उक्त कांफ्रेंस में बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि ‘दावते इस्लामी’ संस्था को जमीन  देने की तैयारी कर ली गई है. संस्था दावते इस्लामी को 25 एकड़ ज़मीन देने के लिए इश्तिहार छपा है. इसके लिए दावा आपत्ति मांगी गई है.

लेकिन अब इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद कांग्रेस ने पूर्व मंत्री को उनके ही जमीन विवाद में घेरने की तैयारी पूरी कर ली है. कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने प्रेस कांफ्रेंस लेते हुए कहा है कि भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल झूठ बोल रहे है. उन्होंने कहा कि दावते इस्लामी संस्था छत्तीसगढ़ में पंजीकृत है छत्तीसगढ़ में पंजीकृत संस्था का किसी और देश से संबंध नहीं है.

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि दावते इस्लामी अगर देश विरोधी संस्था है तो मोदी सरकार उसके साथ खड़ी है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावते इस्लामी को 2021 में सम्मानित किया था. उन्होंने कहा कि अगर दावते इस्लामी संस्था आतंकवादी तो मोदी सरकार इसे प्रतिबंधित क्यों नहीं किया ? दावते इस्लामी संस्था यूपी और बिहार में भी हैं, जहां भाजपा की सरकार है.

वहीं कांग्रेस महामंत्री चन्द्रशेखर शुक्ला ने कहा कि

बृजमोहन अग्रवाल खुद जलकी जमीन विवाद में घिर चुके है. उनके भाई योगेश अग्रवाल समता कालोनी जमीन विवाद में घिर चुके हैं.

 

जाने क्या है जलकी जमीन विवाद

ये पूरा मामला वर्ष 2017 में सामने आया. जिसमें महासमुंद जिले के सिरपुर इलाके में सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर उस जमीन पर रिसॉर्ट बनाने का है. राज्य शासन की रिपोर्ट में साढ़े चार हेक्टेयर वन भूमि पर पूर्व मंत्री के परिजनों का बेजा कब्ज़ा पाया गया था.

सरकारी जमीन पर बना रिसॉर्ट मंत्री की पत्नी सरिता अग्रवाल और बेटे अभिषेक अग्रवाल के नाम था. इस सरकारी जमीन का मालिकाना हक़ आखिर कैसे प्राइवेट व्यक्ति को सौंप दिया गया इसकी जांच राज्य के मुख्य सचिव ने की थी. जांच में कहा गया था कि यह सरकारी जमीन गलत तरीके से मंत्री के परिजनों ने खरीदी. यह जमीन स्थीनीय किसानों ने 2009 में नहर के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग को दान में दी थी.

इसके बाद जल संसाधन विभाग ने इस जमीन को वन विभाग को सौंप दिया था. लेकिन 2012 में गुपचुप ढंग से यह जमीन मंत्री के परिजनों के स्वामित्व में चली गई. जांच रिपोर्ट के बाद महासमुंद जिले के डीएम को इस जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए थे.