सुप्रिया पांडेय, रायपुर। झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं की नक्सलियों द्वारा की गई हत्या पर गठित न्यायिक जांच आयोग ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंप दी है. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए इसे मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन करार दिया है. इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पलटवार किया है. साथ ही सवाल उठाया है कि क्या अब न्यायिक जांच पर भी विश्वास नहीं है ?.

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कौशिक ने कहा कि सरकार को इसमें प्रश्नचिन्ह खड़ा करने की आवश्यकता नहीं है, ना ही आग बबूला होने की आवश्यकता है, जो भी प्रतिवेदन है, चाहे राज्यपाल को सौंपे या सरकार को. रिपोर्ट को सार्वजनिक प्रकाशित किया जाना चाहिए. कांग्रेस की इस पर आपत्ति क्यों है. मुख्यमंत्री हर सेशन में झीरम घाटी को लेकर राजनीति करते हैं और कुछ ना कुछ मुद्दे उठाते हैं.

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कौशिक ने कहा कि एनआईए द्वारा जांच की गई फिर सीबीआई जांच की मांग, इन्होंने की अब न्यायिक जांच भी हो गई. उनको न्यायिक जांच पर भी विश्वास नहीं है? उनको आपत्ति क्या है, इस बात पर चर्चा करनी चाहिए. महत्वपूर्ण यह नहीं कि रिपोर्ट किसे सौंपी गई है, महत्वपूर्ण ये हैं कि जांच पूरी हो गई है, उन्हें आपत्ति किस बात पर है इसे प्रकाशित करें.

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बता दें कि इसके पहले प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर कहा था कि सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है, तो वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है. झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है.

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जब आयोग का गठन किया गया था, तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था. तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया? आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नहीं है, इसमें समय लगेगा. जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी, तब आयोग इसके लिए समय मांग रहा था, फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी? यह भी शोध का विषय है.

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बता दें कि 25 मई 2013 को कांग्रेस नेताओं के काफिले पर बस्तर की दरभा घाटी में नक्सलियों ने हमला बोला था. इस हमले में विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा जैसे बड़े नेताओं समेत करीब 30 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इस हमले में जिस तरह नक्सलियों ने बर्बरता दिखाई थी. इस मामले में अब जांच खत्म होते ही सियासत शुरू हो गई है.

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