बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिसासपुर हाई कोर्ट में एक तलाक की याचिका को मंजूरी मिल गई है. पत्नी ने पति पर कई झूठे आऱोप लगाए थे, जिस पर कोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. कोर्ट ने कहा कि बेटी के विवाह के लिए रखे आभूषणों को पति की जानकारी के बिना गिरवी रखना और उसकी रकम का अपने लिए उपयोग करना क्रूरता की श्रेणी में आएगा.

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दरअसल, तलाक के एक मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि बेटी के विवाह के लिए रखे आभूषणों को पति की जानकारी के बिना गिरवी रखना और उसकी रकम का अपने लिए उपयोग करना क्रूरता की श्रेणी में आएगा.

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जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की डिवीजन बेंच ने कहा है कि बिना किसी सबूत के पत्नी द्वारा पति पर विवाहेत्तर अवैध संबंध का आरोप लगाना भी क्रूरता है, इस आधार पर कोर्ट ने पति की तलाक के लिए अपील स्वीकार कर ली है.

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बता देंं कि तारबाहर निवासी एस राजू ने पत्नी पर क्रूरता और परित्याग का आरोप लगाते हुए बिलासपुर परिवार न्यायालय में तलाक की याचिका दायर की थी. इसे परिवार न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी थी, फिर उसने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत कर कहा कि विवाह के लगभग 25 साल बाद पत्नी बिना किसी वैध कारण के 15 सितंबर 2011 को उसको उसकी पत्नी छोड़कर चली गई.

साथ ही उसने अपनी बेटी के विवाह के लिए जो जेवर बनवाए थे, उनको भी गिरवी रखकर 10-12 लाख तक का ऋण ले लिया था. जब लेनदार आने लगे तो उसको इस बात की जानकारी हुई. इस पर पत्नी ने अपना पक्ष रखा कि पति के अन्य महिला से अवैध संबंध हैं. साथ ही उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया था, इसलिए उसने घर छोड़ा.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में सबूतों से पता चलता है कि पत्नी ने पति को जानकारी दिए बिना आभूषण गिरवी रखे, जो उनकी बेटी की शादी के लिए खरीदे गए थे. साथ ही पति के खिलाफ अवैध संबन्ध के लगाए गए आरोप भी झूठे थे. कोर्ट ने पाया कि ऐसे आरोप लगाकर पत्नी ने समाज में पति की सम्मान को क्षति पहुंचाई है. इसलिए पति तलाक की डिक्री पाने का हकदार है.