रायपुर. 5 बच्चों और मां के सामूहिक आत्महत्या के मामले में जांच करने पहुंची बीजेपी नेताओं की टीम को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ता. नेताओं के खिलाफ ग्रामीणों ने बेवजह इस मामले में राजनीति का आरोप लगाया है.

सामूहिक आत्महत्या के इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय द्वारा गठित समिति में शिवरतन शर्मा, चुन्नीलाल साहू, देवजी भाई पटेल, पूनम चंद्राकर, डॉ. विमल चोपड़ा, रूपकुमारी चौधरी के नेतृत्व में जांच समिति गठित की थी.

लेकिन जैसे ही इन नेताओं की टीम जांच करने गांव पहुंची तो बीजेपी नेता बार-बार ग्रामीणों और परिजनों से एक ही सवाल कर रहे थे कि क्या मृतिका का पति शराब पीता था  ? उनके सवाल थे कि वो शराब रोज पीता था कि कभी कभी ? बार बार पूछे जाने वाले इसी सवाल से नाराज ग्रामीणों ने नारेबाजी शुरू कर दी. जिसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों को शांत कराया.

ग्रामीणों का कहना था कि उसकी पत्नी का अपने पति से किसी भी प्रकार का विवाद नहीं था. जो भी विवाद था वो ससुर, सास और जेठानी से था.

ग्रामीणों ने इन आरोपों का भी खंडन किया जिसमें ये कहा जा रहा था कि बेटे का जन्म न होने के कारण अक्सर विवाद होता था.

ग्रामीणों का दावा है कि ये पूरा परिवार अलग रहता था और 1-2 साल पहले घर के बड़े बेटे का देहांत होने के बाद ही 5 बच्चों और पत्नी के साथ केजराम अपने इस घर में रहने आया था. जहां पहले से माता-पिता और उसकी भाभी यानी मृतिका की जेठानी रहती थी.

हालांकि इस मामले पुलिस को भी अब तक सामूहिक आत्महत्या की कोई ठोस वजह पता नहीं चल सकी है. वहीं अपने खिलाफ हो रही नारेबाजी के बाद बीजेपी जांच समिति वापस लौट गई.

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