रायपुर. विगत दिनों नया रायपुर स्थित कैपिटल परिसर में फांसी लगाकर आत्महत्या करने वाले योगेश वानखेड़े और कल जशपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर कार्यरत कु. देवकी चक्रेश की नृशंश हत्या के विरोध में आज प्रदेश भर के संविदा कर्मचारी राजधानी की सड़कों पर उतर आए और जंगी प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का आरोप है कि योगेश वानखेड़े को अधिकारियों की प्रताड़ना की वजह से आत्महत्या करनी पड़ी, जिसका खामियाजा अब उसका निर्दोष परिवार भुगतेगा.

सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि, संविदा कर्मचारियों को आसामयिक मृत्यु की स्थिति में सरकार सिर्फ 1 लाख अनुकम्पा राशि प्रदान कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेती है, जो कि सालों से सरकार की सेवा कर रहे मृतक कर्मचारी के प्रति घोर अमानवीयता है. उल्लेखनीय है कि सामान्य सरकारी कर्मचारियों को आसामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवार को अंतिम संस्कार के लिए राशि, पेंशन, ग्रेच्युटी, किसी एक पारिवारिक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति आदि सुविधाएं मिलती हैं. वहीं संविदा कर्मचारियों को मात्र 1 लाख देकर ही जैसे कोई एहसान कर दिया जाता है. कम से कम मृत्यु को एक समान माना जाना चाहिए, एक कर्मचारी की मृत्यु पर जमाने भर की सुविधाएं, वहीं दूसरे की मृत्यु पर आंखे फेर लेने की सरकार की यह नीति नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तथा संविधान द्वारा प्रदत्त बराबरी के अधिकार के विरुद्ध है.

तिवारी ने आगे बताया कि, इसी अन्यायपूर्ण व्यवस्था के विरुद्ध खड़े होने आज हम यहां एकत्र हुए हैं और आज पूरा संविदा कर्मचारी जगत अपने साथियों की शहादत से आक्रोशित हैं. हमारे आक्रोश की आग में घी का काम मृतकों के स्वजनों के बहते हुए आंसू कर रहे हैं, हम स्वयं को बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं, कि हम उनके लिए कुछ कर नहीं पा रहे हैं. इसीलिए हम यहां वो करने को एकत्र हुए हैं जो हमारे बस में है. कम से कम संविधान के दायरे में रहते हुए हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने शहीद साथियों के लिए न्याय और समानता की मांग कर सकें.

हम मुख्यमंत्री बघेल से ये मांग करते हैं कि, मृतकों के परिवार के किसी एक सदस्य को शासकीय नौकरी प्रदान की जाए, यदि ये संभव ना हो तो कम से कम इतनी अनुकम्पा राशि तो प्रदान की ही जाए कि, मृतक का परिवार सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें, इसके लिए हम अनुकम्पा अनुग्रह राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने की मांग करते हैं. यदि हमारी इन जायज मांगों को भी सरकार समय रहते पूरा नहीं करती है तो मजबूरन हमें कोई कड़ा कदम उठाना पड़ सकता है और इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य शासन की होगी.

महासंघ के सचिव श्रीकांत लाश्कर ने कहा कि, विगत दिनों सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जनहित के कार्य जारी रखने संबंधी एक पत्र विभागों को जारी किया है, जिसमें हडताल सहित अन्य कारणों से अनुपस्थित संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर उन पदों पर नई भर्ती के लिए लिखा गया है. ये हैरत की बात है कि संविदा कर्मचारियों को सरकार ने जनता मानने से भी इंकार कर दिया है, जिस पत्र का विषय ही जनहित से संबंधित है. उसी में आमजनता के एक धड़े की रोजी-रोटी छिनने के निर्देश दिए गए हैं. स्पष्ट है कि प्रदेश में लालफीताशाही अपने चरम पर है, अफसर राजनेताओं के आदेशों-निर्देशों और सरोकारों की अवहेलना करने में लगे हुए हैं.

लाश्कर ने आगे कहा कि मात्र इस एक कर्मचारी विरोधी पत्र के कारण भविष्य में और कर्मचारी भी आत्महत्या की ओर उन्मुख हो सकते हैं, और उनके परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होंगे. महासंघ अपने सभी साथियों से आत्महत्या जैसे अतिवादी और कायर कर्म को ना करने की, बल्कि अन्याय के विरुद्ध सीना तान के खड़े होने की अपील करता है और अब तक जो साथी आसामयिक मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, उनके स्वजनों के लिए न्याय की मांग करता है.