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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में 18+ वैक्सीनेशन में गरीबों को प्राथमिकता देने वाले सरकार के फैसले पर सख्त एतराज जताया है. हाईकोर्ट ने इसको लेकर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि बीमारी अमीर और गरीब देखकर नहीं हो रही है. इसलिए वैक्सीन भी इस नजरिए से नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने महाधिवक्ता की मांग पर इस पूरे मुद्दे की स्पष्ट पॉलिसी बनाने के लिए समय दिया है. हाई कोर्ट ने टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नीति बनाने के निर्देश दिए हैं.
दरअसल, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया है. इसी तरह टीकाकरण में आरक्षण को लेकर अलग-अलग पांच से अधिक हस्तक्षेप याचिकाएं दायर हुई है, जिस पर मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई.
कोरोना संक्रमण को लेकर हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. यह याचिका सरकार की ओर से वैक्सीनेशन में अंत्योदय कार्ड धारकों को प्राथमिकता देने के खिलाफ लगाई गई है. अधिवक्ता राकेश पांडेय, अरविंद दुबे, सिद्धार्थ पांडेय और अनुमय श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन ने जो आदेश जारी किए हैं. उसके मुताबिक टीका सबसे पहले अंत्योदय को फिर BPL, उसके बाद APL और अंत में सभी को लगेगा. आरक्षण प्रणाली का यह निर्णय और आदेश संवैधानिक अधिकार के विपरीत है. एडवोकेट किशोर भादुड़ी ने भी इस आदेश को गलत बताया.
शासन की ओर से दिए गए जवाब पर कोर्ट ने जताई आपत्ति
सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि वैक्सीन कम है. गरीब तबके में जागरूकता नहीं है. उनके पास मोबाइल और इंटरनेट भी नहीं है. गरीब बाहर निकल जाते हैं, जिससे संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं. इसलिए प्राथमिकता के आधार पर भी गरीब तबके को सबसे पहले वैक्सीन लगवाया जा रहा है. इस जवाब पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई. कहा कि पूरे राज्य में लॉकडाउन है. ऐसे में गरीब तबके को बाहर निकलने से रोकना शासन की जिम्मेदारी है. कोरोना गरीब और अमीर देखकर संक्रमित नहीं कर रही है.
शासन से दो दिन में जवाब मांगा जवाब
कोर्ट ने कहा कि वैक्सीनेशन के लिए उचित वर्गीकरण का अगर कारण नहीं बता सकते तो वह भेदभाव होगा. किसी वर्ग को प्राथमिकता देते हैं तो उसका आधार होना चाहिए, जो आदेश में नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि बीमारी किसी से भेदभाव नहीं कर रही है. सभी को हो रही है. इसलिए दवाई सभी को मिलनी चाहिए. साथ ही कोर्ट पूरे मामले पर जवाब के लिए शासन को दो दिन का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी.
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