ललित ठाकुर, राजनांदगांव: जिले के खैरागढ़ ब्लॉक के सलौनी स्थित उपजेल में कोरोना बम फूटा है. यहां लगभग 75 विचाराधीन कैदियों को कोरोना संक्रमण रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इन सभी कैदियों को जेल में ही अलग-अलग बैरकों में रखकर इलाज किया जा रहा है. उपजेल में 376 के मामले में विचाराधीन कैदी की कोरोना से मौत हो गई है.
उपजेल में कोरोना का कोहराम
जेलर का कहना है कि बाकी के कैदियों का इलाज जारी है. इस उपजेल में कुछ कैदियों की तबीयत ख़राब होने पर 18 अप्रैल को सिविल में कोरोना की जांच की गई थी, जिसमें 8 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. इसके बाद 22 अप्रैल को जांच के दौरान 47 विचाराधीन कैदी कोरोना पॉजिटिव निकले थे, जिसके बाद 29 अप्रैल को कैदियों की दोबारा जांच होने पर 20 लोग कोरोना पोजीटिव निकले. इनका इलाज जेल में ही किया जा रहा है.
उपजेल में अभी 137 आरोपी
इस उपजेल में विचाराधीन कैदियों को रखने की क्षमता 110 का है, लेकिन इस उप जेल में अभी 137 आरोपी जेल मे बंद हैं. वहीं जेलर रेनू ध्रुवे का कहना है कि जेल में 376 का विचाराधीन आरोपी नकुल निषाद निवासी मुढीपार कोरोना पॉजिटिव था. रात में अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने पर उसे स्वास्थ्य केंद्र खैरागढ़ लाया गया. जहां रात 1 बजे उसकी मौत हो गई. 75 लोग इस समय कोरोना के मरीज हैं. उन्हें दो बैरक में अलग अलग रखा गया है.
शासकीय हॉस्पिटल से डाक्टर प्रतिदिन आ करके उनके पल्स वगैरा का जांच करते हैं. उन्हें उपचार के लिए जो दवाई दिया जाना चाहिए. वह दवाई सभी को दिया जा रहा है. इस प्रकार से जेल प्रशासन और मेडिकल ऑफिसर के द्वारा अपनी तरफ से सभी विचाराधीन आरोपियों को मेडिकल फैसिलिटी दिया जा रहा है.
बता दें कि जशपुर जिला जेल में गुरुवार को 21 कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले थे. जेल में अलग से कोविड केयर बैरक बना दिया गया है. सभी संक्रमित बंदियों को इसी में रखा गया है. आशंका जताई जा रही है कि बाहर से आने वाले सामान से संक्रमण फैला है. कारण बताया जा रहा है कि किसी आरोपी को कोर्ट में पेश करने के पूर्व ही उसका टेस्ट कराया जाता है. जेल स्टाफ के जरिए संक्रमण फैलने जैसी बात भी अभी तक सामने नहीं आई है.
रायपुर और दुर्ग सेंट्रल जेल में अब तक 5 कैदियों की संक्रमण से हो चुकी है मौत
इससे पहले रायपुर सेंट्रल जेल और दुर्ग केंद्रीय जेल में बंद पांच कैदियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है. वहीं करीब 70 कैदी पॉजिटिव हो चुके हैं. पिछले साल मार्च में कोरोना के केसों को देखते हुए हजारों कैदियों को अंतरिम जमानत दी गई और पैरोल पर छोड़ा गया था. इस दौरान दो बार पैरोल बढ़ाई गई और दिसंबर तक कैदियों को बाहर रखा गया था. इसके कारण संक्रमण रोकने में मदद मिली थी.
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