रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस चरम पर है. ऐसे में ‘दो गज की दूरी और मास्क बेहद जरूरी है’. कोरोना महामारी से बचने का एक मात्र यही बेहतर विकल्प है. लेकिन क्या जेलों में इसका पालन हो रहा है ? क्योंकि कैदियों के बीच दूरी बनाकर रखना संभव ही नहीं है. प्रदेश के कई जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने की वजह से उन्हें बैरकों में ठूंस-ठूंस कर रखा जाता है. जिस कारण जेल में कैदियों के बीच कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है. ऐसे में जेल में बंद कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जाना चाहिए. जैसा कि कोरोना के पहले चरण में किया गया था.
जेल में कोरोना से कैदी की मौत
राजधानी रायपुर के सेन्ट्रल जेल में आज रविवार को 32 वर्षीय एक बंदी की कोरोना से मौत हो गई है. जबकि दो अन्य कैदियों की स्थिति गम्भीर बताई जा रही है. सेंट्रल जेल में क्षमता से तीन गुना अधिक क़ैदी रखे गए हैं. जेल डीआईजी के के गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि बलौदाबाज़ार से इलाज के लिए बंदी को लाया गया था, जिसकी मौत हो गई है.
बैरकों में ठूंस-ठूंस कर रखे गए हैं कैदी
सेंट्रल जेल में क़ैदी के पॉजिटिव आने के बाद जेल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं. रायपुर सेंट्रल जेल की क्षमता क़रीब 1100 क़ैदी की है, लेकिन यहां आमतौर पर क़रीब 3 हज़ार क़ैदी रखे जाते हैं. यानी क्षमता से अधिक क़ैदी होने पर उन्हें बैरकों में ठूंस-ठूंस कर रखा जाता है. जेल में कैदियों को ऐसे एक साथ रखना खतरे से खाली नहीं है. पिछले बार जेलों में बड़ी संख्या में कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले थे.
पिछले बार जेल में हुआ था कोरोना ब्लास्ट
कोरोना के पहले चरण के दौरान रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना ब्लास्ट हुआ था. एक के बाद एक क़रीब पचास क़ैदी संक्रमित पाए गए थे. प्रदेश भर के कई जेलों का यही हाल था. राज्य के जेलों में बंद कैदी भारी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मिले थे. जेल में बढ़ते संक्रमितों की संख्या को देखते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया था. जिससे जेलों में कोरोना वायरस के फैलने से रोका जा सके. कैदियों को बेमौत मरने से बचाया जा सके.
हजारों की संख्या में कैदी हुए थे रिहा
पिछले साल मार्च के महीने में कोरोना के जब कम केस थे, उस समय कई जिलों से कैदियों को कुछ शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत और पैरोल पर छोड़ा गया था. छत्तीसगढ़ के कई जेलों से हजारों की संख्या में कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था. दिसंबर के महीने तक कैदियों को पैरोल पर बाहर रखा गया था. जिस कारण कुछ हद तक जेलों में संक्रमण फैलने से रोका जा सका था. इस बार भी कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की जरूरत है.
देरी से आती है कैदियों की कोरोना रिपोर्ट
जेल डीआईजी के के गुप्ता का कहना है कि पिछले अनुभवों का लाभ लेते हुए इस बार हमने ज़्यादा एहतियात बरता है. संक्रमण ना फैले इसके लिए हम सचेत हैं. बावजूद इसके डर बना रहता है. यहां हर रोज़ 20-25 नए क़ैदी आते हैं. क़ैदियों की कोरोना रिपोर्ट देरी से आती है, यह ख़तरा तो है ही.
ख़तरा जितना जेल में है, उतना बाहर भी
गुप्ता का कहना है कि कोरोना के पहले चरण में हाईकोर्ट ने संक्रमण का ख़तरा भाँपते हुए क़ैदियों को पैरोल की अनुमति दी थी. लेकिन अभी पैरोल पर भेजना कोई हल नहीं है. संक्रमण का ख़तरा जितना जेल में है, उतना बाहर भी है.
कब पैरोल पर छोड़े जाएंगे कैदी ?
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब जेल के बैरकों में जगह कम है, तो ज्यादा संख्या में कैदियों को क्यों रखा जा रहा है ? पिछले बार की तरह समय रहते सबक क्यों नहीं लिया जा रहा ? क्यों कैदियों को पैरोल पर रिहा नहीं किया जा रहा ? क्या जेल प्रशासन को जेल में कोरोना से तबाही का इंतजार है ? जबकि रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना से एक कैदी ने दम तोड़ दिया है. दो कैदी बीमार भी है. जेल में कैदी तो एक दूसरे के संपर्क में रहते ही है. जिस बैरक में एक कैदी कोरोना पॉजिटिव मिलता है, तो उस बैरक के पूरे कैदी संक्रमित हो सकते हैं ?
जेल में संक्रमण रोकने की जरूरत
संक्रमण का मामला सामने आने के बाद अपनी क्षमता से तीन गुना अधिक क़ैदियों का बोझ ढो रहे जेल में संक्रमण रोकने की पहल किए जाने की ज़रूरत है. क्योंकि पिछले बार कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जेलों में कैदियों की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया था. जिससे जेलों में बंद कैदियों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम किया जा सके.
छग में 1 लाख 30 हजार से अधिक एक्टिव केस
बता दें कि छत्तीसगढ़ में शनिवार को कोरोना के रिकॉर्ड 16 हजार 83 मरीजों की पहचान हुई थी. कोरोना से 138 लोगों ने जान गंवाई थी. हालांकि 9 हजार 79 लोगों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया था. अब तक प्रदेश में 3 लाख 96 हजार 357 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है. मौत का आंकड़ा 5 हजार 738 पहुंच गया है. प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख 30 हजार 400 है.
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