पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। धान खरीदी के दूसरे दिन समिति के औचक निरीक्षण के दौरान एडीएम को समिति प्रबन्धन के पास बड़ी संख्या में ऋण पुस्तिका मिली है. इन ऋण पुस्तिकाओं को एसडीएम के सुपुर्द करते हुए जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

ओडिशा सीमा से लगे केंद्रों में धान खरीदी में गड़बड़ी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. इस कड़ी में कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर के निर्देश पर एडीएम जेआर चौरसिया ने गुरुवार को सीमावर्ती इलाके के खरीदी केंद्रों का सघन निरीक्षण किया. इस दौरान मैनपुर के शोभा समिति में अवैध रूप से रखे 512 व देवभोग सहकारी समिति में रखे 217 ऋण पुस्तिका को जब्त कर दोनों अनुविभाग के एसडीएम को सुपुर्द करते हुए 3 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने कहा है.

धान खरीदी के लिए कटाते टोकन

एडीएम चौरसिया ने बताया कि खरीफ के लिए लोन जुलाई के पहले ही दिया गया था. लोन की प्रकिया पूरी होने के बाद ऋण पुस्तिका किसानों को वापस करना होता है, जिसे लेकर किसान धान विक्रय का टोकन कटवाता है. कार्यालय बन्द होने के बाद बड़ी संख्या में पुस्तिका के मिलने से आशंका पैदा होती है. उन गांव के भी पुस्तिका मिले हैं, जिनके टोकन काटने की बारी ही नहीं थी.

गड़बड़ी मिलने पर होगा एफआईआर

उन्होंने बताया कि खरीदी प्रक्रिया शुरू होने के बाद पुस्तिका का इस तरह रखा जाना नियम विरुद्ध है. जिनके भी पुस्तिका मिले हैं, उनके रकबे का भौतिक सत्यापन, पुस्तिका रखने के कारण समेत 5 बिंदुओं में इसकी जांच की जा रही है. कारण सही मिले तो पुस्तिका किसानों को वापस होंगे. गड़बड़ी हुई तो जवाबदेही तय कर एफआईआर भी दर्ज कराया जा सकता है.

लोन माफी से पहले होता था खेल

जानकार बताते हैं कि किसानों की ऋण पुस्तिका इस तरह रख कर धान बोए बगैर ओड़िसा का धान खपाने का बड़ा खेल 3 साल पहले तक चलता था. पुस्तिका उन लोगों के कब्जे में होती था, जो कर्ज पटा देते थे. बोनस की राशि का आधा हिस्सा भर किसानों को मिलता था, बाकी पुस्तिका रखने वालों को कमाई हो जाती थी. कर्ज माफ करते ही ऐसे लोगो से किसानों ने पट्टे वापस ले लिए थे. दोबारा इस तरह अवैधानिक मिलना कई सवालों को जन्म देता है.

वन अधिकार की मूल पुस्तिका समिति में कैसे

शोभा समिति में मिले 512 पुस्तिका में से 200 से ज्यादा वन अधिकार के तहत सरकार द्वारा दी गई पुस्तिका है. ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों को दी गई पुस्तिका किन कारणों से समिति में रखी गई है.

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लोन लेने के बाद किसान नहीं ले गए थे पुस्तिका

देवभोग समिति के प्रबंधक घनश्याम ठाकुर ने बताया कि इस बार इनकी समिति से 600 से ज्यादा सदस्यों को लोन दिया गया है. एक तिहाई किसान पुस्तिका नहीं ले गए थे. टोकन काटने के समय आवश्यक होने पर लेते जा रहे थे. कुछ पुस्तिका तो टोकन काटने के लिए किसानों ने जमा कराया था.

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