राजिम. संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर गुरुवार को पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में वृध्दि के खिलाफ राजिम में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सदस्यों ने कोविड महामहारी के दिशा निर्देशो का पालन करते हुए राजिम के पं. सुन्दरलाल शर्मा चौक के पास महंगाई के खिलाफ हल्ला बोला. किसानों ने विरोध प्रदर्शन कर नायब तहसीलदार राजिम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन में कहा है कि साल 2009 से 2014 के दौर में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम उभार पर था. उस दौर में 106.85 डाॅलर प्रति बैरल (159.5 लीटर) तक थी. अप्रैल 2014 में तब उपभोक्ताओं को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 72.26 रुपए प्रति लीटर और डीजल 55.49 रुपए प्रति लीटर प्राप्त होती थी. तब भी जनता के सामने बढ़ती महंगाई का एक बड़ा संकट था. लेकिन आज जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 63 डाॅलर प्रति बैरल (159.5 लीटर) है, फिर भी पेट्रोल 90.56 रुपए प्रति लीटर और 80.87 रुपए प्रति लीटर की अत्यधिक दाम पर उपभेक्ताओं को मिल रही है. यहां हम केवल देश की राजधानी दिल्ली की बात कर रहे हैं. कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से भी अधिक हो चुकी है. इसी प्रकार 2014 में सब्सिडी वाली रसोई गैस की दाम 414 रुपए प्रति सिलेण्डर (14.2 किग्रा) थी, जो आज 815 रुपए की हो चुकी है.

लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान मोदी ने बड़े ही लच्छेदार शब्दों में भाषण देते हुए महंगाई से आम जनता को निजात दिलाने का वायदा किया था. भारतीय जनता पार्टी के ’’बहुत हो गई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार, अच्छे दिन आने वाले हैं, बहुत हो गई जनता पर पेट्रोल डीजल की मार अबकी बार मोदी सरकार’’ जैसे लोक लुभावन नारे थे. जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम कम हो चुकी है, तब जनता को सस्ते दरों पर ईंधन मिलनी चाहिए, लेकिन बीजेपी सरकार कुल दाम में से आधे से अधिक करीब 53 प्रतिशत राशि टैक्स के रुप में ले लेती है, जो आम मेहनतकश व मध्यमवर्गीय जनता पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ है और किसानों का उत्पादन लागत बढ़ती जा रही है, लेकिन तय न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किसानों को प्राप्त नहीं हो रही है.

रासायनिक खाद कंपनियां जिन्हें सरकार सब्सिडी दे रही है, उनके द्वारा मनमाने दामों में छोटे विक्रेताओं को खाद बेची जा रही है. उनके साथ में जिंक आदि का बोझ अतिरिक्त है जिसे किसान लदान कहते हैं. सहकारी सोसायटियों में छह महीने की उधारी पर किसानों को कम दाम में खाद मिल रही है, जबकि खाद विक्रेताओं द्वारा नगद राशि जमा कर खाद खरीदी की जाती है और किसानों द्वारा नगद खरीदी की जाती है. तब भी किसनों को महंगे दामों में खाद मिलना कंपनी द्वारा सीधा-सीधा किसानों और सरकार के साथ धोखाधड़ी है.
किसानों ने मांग किया है कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ी हुई दामों को कम कर वर्तमान दाम से सीधा आधा किया जाए. किसानों को डीजल पर सब्सिडी प्रदान किया जाए. किसानों की सभी उपजों के लिए स्वमीनाथन आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर उस पर खरीदी की गारंटी कानून बनाया जाए. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरे साल भर फसलों की खरीदी हो इसके लिए कृषि उपज मंडी समितियों को मजबूत व व्यवस्थित किया जाए. खाद कंपनियों द्वारा किसानों की लूट बंद की जाए और दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आन्दोलन का समर्थन करते हुए उनकी मांगों को पूरा किया जाए.

विरोध प्रदर्शन में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, सचिव तेजराम विद्रोही, उत्तम कुमार, रेखूराम, जहुर राम, फत्ते लाल, ताराचंद साहू, रामजी साहू, आसन साहू, यादराम, बसंत साहू, प्रभु साहू, रामजी साहू, गजेश्वर साहू नरेश कुमार घोघरे, होरीलाल आदि उपस्थित रहे.