रायपुर. फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर रायपुर जिले में चार जगह से स्लाइड क्लेक्शन का कार्य शुरु किया गया है. रायपुर जिले के आरंग, अभनपुर और काशीराम नगर एवं राजेंद्र नगर, इस रोग के लिए अति संवदेनशील क्षेत्र में हैं. इसीलिए यहां से फाइलेरिया सैम्पल कलेक्शन का कार्य शुरू किया गया है.

फाइलेरिया उन्मूलन की जानकारी देते हुए डॉ. विमल किशोर राय ने बताया, “फाइलेरिया उन्मूलन के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके लिए जिले में चार जगह से स्लाइड क्लेक्शन का कार्य शुरु किया गया है. विकासखंड अभनपुर के मानिकचौरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के सब सेंटर दुलना, विकासखंड आरंग के रीवॉ और रायपुर शहरी के काशीराम नगर एवं राजेंद्र नगर में 9 फरवरी से रात्रि 8:30 से 12 बजे तक फाइलेरिया की जांच हेतु 500-500  स्लाइडो का कलेक्शन किया जा रहा है.

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घर-घर जाएगी टीम…

उक्त अधिकारी ने बताया कि टीम घर-घर तक पहुंचकर स्लाइड क्लेक्शन का कार्य कर रही है. साथ ही उनको फाइलेरिया से बचने के लिए खाने की दवाई भी दी जा रही है. यदि सूक्ष्म फाइलेरिया पॉजिटिव आता है तो रेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है. जो 12 दिन चलता है उसके उपरांत सूक्ष्म फाइलेरिया निगेटिव हो जाता है. अगर समय रहते फाइलेरिया का इलाज नहीं किया गया तो यह एक लाइलाज बीमारी में बदल जाता है.

माइक्रो फाइलेरिया दर जानने को रात में सर्वे

इस बीमारी को फाइलेरिया और हाथी पांव कहते हैं. बीमारी का संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है. मगर इस बीमारी के लक्षण 7 से 8 वर्ष के उपरान्त ही दिखाई देते हैं. फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है. ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं. जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है. परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है. प्रत्येक मादा वयस्क फाइलेरिया परजीवी नर कृमि से जुड़ने के बाद, लाखो सूक्ष्म फाइलेरिया नामक भ्रूणों की पीढिय़ों को जन्म देती है, जो बाह्य रक्त में विशेषकर रात्रि में, बड़ी संख्या में प्रभावित होते रहते हैं. राज्य सरकार फाईलेरिया संवेदनशील एवं असंवेदनशील जिलों में मरीजों की लाइन लिस्टिंग किया है. असंवेदनशील जिलों में जहां फाइलेरिया के मरीज पाए गए हैं, वहां माइक्रो फाइलेरिया दर जानने के लियें रात में सर्वे किया जाता है.इसके अलावा सामूहिक दवा सेवन के लिए सभी मितानिन एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने सामने दवा सेवन कराने का प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही मरीजों को अपने घर में रोग प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

जाने आपको क्या करना चाहिए

अपने पैर को साधारण साबुन और साफ पानी से रोज धोयें, मुलायम और साफ कपड़े से पैरों को पोछना चाहिये, पैर की सफाई करते समय ब्रश का प्रयोग ना ही करें, इससे पैरों में घाव हो सकता हैं, जितना भी हो सके अपने पैर को आरामदायक स्थिति में उठाए रखें, तेज़ दर्द या बुखार से पीडि़त है तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें.

जाने दवाई की पूरी खुराक

दो वर्ष से कम पर कोई दवा नहीं देनी होती है 2 से 5 वर्ष तक 1 गोली 100 मिलीग्राम की डीइसी की व एक एलवेंडाजोल की, 6 से 14 वर्ष तक 2 गोली 100 मिलीग्राम व एक गोली एलवेंडाजोल की, 14 वर्ष इससे अधिक पर 3 गोली 100 मिलीग्राम की व एक एलवेंडाजोल की खुराक दी जाएगी.

ये रखनी चाहिए आपको सावधानियं

खाली पेट दवा न खाएं. दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को एमडीए के तहत दवा न दें. दवा के दुष्प्रभाव सिरदर्द, बदन दर्द, मिलती एवं उल्टी आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं. सामान्य उपचार एक या दो दिनों में या मामूली एवं क्षणिक दुष्प्रभाव ठीक हो जाते हैं.