सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ में जनरल प्रमोशन नौनिहालों के भविष्य को उज्जवल होने से पहले ही अधर में धकेल रहा है. प्रदेश में बढ़ते कांपिटिशन और पढ़ाई के बीच न बच्चे सभंल पाएंगे और न ठहर पाएंगे. कोरोना काल में बच्चों को जनरल प्रमोशन देना मजबूरी है, लेकिन प्रदेश में पांचवी और आठवीं बोर्ड परीक्षा को खत्म कर हर बच्चे को पास करना छात्रों के लिए घातक बनता जा रहा है., क्योंकि शिक्षा विभाग का आदेश है किसी भी बच्चे को फेल नहीं करना है. यही आदेश छात्रों के लिए अंधकारनुमा कुंआ बना रहा है, जिससे निकल पाना मुश्किल है. ये जनरल प्रमोशन नौनिहालों के नींव को कमजोर कर रहा है. शिक्षा विभाग के नए कायदे कानून सुनने में अच्छे लग रहे हैं, लेकिन ये वैसा ही जैसे कि किसी को बिना ट्रेनिंग के बॉर्डर पर भेज देना. ऐसा हम नहीं एक युवक के आरोप हैं, जो जनरल प्रमोशन के विरोध में भूख हड़ताल अकेले कर रहा है.

दरअसल, सरकारी फ़ैसले से शिक्षा का स्तर में गिरावट को देखते हुए जांजगीर-चांपा ज़िले के एक युवा राजधानी में आकर बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर अकेले ही बैठ गया है. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे युवक अगर घुंघराले का कहना है कि जो छत्तीसगढ़ में कक्षा पांचवीं और कक्षा आठवीं बोर्ड को समाप्त किया गया है. कक्षा 1 से आठवीं तक जो पास कर दिया जाता है. जनरल प्रमोशन दे दिया जाता है. यही सरकारी स्कूलों में शिक्षा में गुणवत्ता का सबसे बड़ा कारण है.

पढ़ें या ना पढ़ें होंगे पास ?
कोरोना काल में जनरल प्रमोशन मजबूरी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थिति यह है कि बोर्ड कक्षा पांचवी और 8वीं अब बोर्ड नहीं रहा है. कहीं न कहीं विद्यार्थियों के मन में यह भाव आ गया है कि पढ़ाई करें या न करें पास हो जाएंगे. अभिभावकों की भी यही सोच बनती जा रही है.

ड्राप आउट के कारण –
दसवीं और बारहवीं के बाद लगभग छत्तीसगढ़ में 70-80 प्रतिशत ड्राप आउट होते हैं. इसका मुख्य कारण यही होता है कि कक्षा एक आठवीं तक पास कर दिया जाता है. विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई रुचि नहीं होती है. अचानक पढ़ाई का प्रेशर बढ़ जाता है. ऐसे में विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं.

गरीबों के साथ छलावा
वहीं सवाल उठाते हुए कहा कि पढ़ाई के नाम पर गरीबों के साथ छलावा किया जा रहा है. प्राइवेट स्कूल में पढ़ने की स्थिति नहीं होती. इसलिए सरकारी स्कूल में भेजा जाता है. ऐसे में पढ़ाई नहीं होने के कारण बच्चे पढ़ाई में कमज़ोर होते हैं. माता पिता बच्चों की कमज़ोरी को देखते हुए कई स्थितियों में पढ़ाई रोक देते हैं, तो कहीं विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं.

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