रायपुर. बारिश का मौसम शुरू हो चुका है. इस मौसम में जलजनित बीमारी फैलने का खतरा बहुत बढ़ जाता है. इस समय डेंगू (dengue), मलेरिया, डायरिया, टाइफाइड व पीलिया जैसी बीमारियोंके मरीज अधिक संख्या में सामने आते हैं.
इन बीमारियों से सही समय में बचाव व इलाज का प्रबंधन जरुरी होता है. इसी क्रम में दुर्ग जिला प्रशासन, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता दिखाते हुए बारिश में महामारी से निपटने के लिए तैयारी तेज कर दी है. बारिश को ध्यान में रखते हुए दुर्ग निगम प्रशासन द्वारा शहर की पानी टंकियों, ओवरहैड टैंक व संपवेल की सफाई कराई जा रही है. नगर निगम क्षेत्र के टैंक में जमा गाद को रोटरी डेज मशीन के माध्यम से मेकनाइज वाटर टैंक क्लीनिंग सिस्टम से साफ किया जाता है. टैंक की सफाई के बाद अल्ट्रावायलेट लैप का उपयोग करते हुए सोडियम हाइपोक्लोराइड का घोल बनाकर डाला जाएगा.जिससे वह एंटीबैक्टीरियल का कार्य करता है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. पीआर बालकिशोर ने बताया, “बारिश के मौसम में डेंगू (dengue) व मलेरिया मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है. डेंगू के मच्छर (एडिज एजिप्टी) साफ पानी में भी पनपता है.
टाइफाइड के लक्षण
- मरीज को कमजोरी महसूस होना
- संक्रमण बढ़ने से भूख का कम होना
- सिर दर्द होना
- बॉडी पेन होना
- ठण्ड के साथ बुखार आना
- सुस्ती व आलस होना
- दस्त की समस्या भी हो सकती है
- पाचन तंत्र का बिगड़ना
- टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति का बुखार 102 से 104 डिग्री तक भी जा सकता है.
वहीं मलेरिया मादा एनोफिलिस मच्छर के काटने से फैलता है. इसके लिए सोते समय मच्छरदानी और मच्छर मारने की दवाई का उपयोग करना चाहिए. वहीं डायरिया और पीलिया जल जनित रोग है. इससे बचने के लिए इस मौसम में साफ और उबले हुए पानी का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा पानी में क्लोरीन और फिटकिरी से भी ट्रीटमेंट किया जा सकता है. साथ ही आर.ओ.वाटर यानी फिल्टर पानी पीनेसे जलजनित रोगों से बचा जा सकता है. बारिश के दिनों में खाने और पीने को लेकर विशेष ध्यान देने की जरुरत है”.
डॉ. बाल किशोर ने बताया,
“दूषित पानी पीने से टाइफाइड हो सकता है. टाइफाइड का बुखार पाचन तंत्र और ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण होता है. टाइफाइड पानी और फूड जनित बीमारी है. इस बीमारी में सलोमोनेला टाइफी नाम का बैक्ट्रीरियां गंदे पानी और खाने के जरिए शरीर में प्रवेश करके पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. हालांकि इस बीमारी के ज्यादातर लक्षण कोरोना से मिलते जुलते हैं. इस तरह के लक्षण महसूस हो तो सबसे पहले कोरोना की जांच कराएं. रिपोर्ट निगेटिव आने पर टाइफाइड की जांच कराएं और तुरंत इलाज शुरु करें”.
कैसे होता है टाइफाइड?
टाइफाइड गंदगी से फैलने वाली बीमारी है. इसका बैक्टीरिया दूषित या गंदे पानी व खाने के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है. इस बीमारी का बैक्टीरिया जल या सूखे मल में सप्ताह भर तक जिंदा रहता है, जिसके संपर्क में आते ही कोई भी संक्रमित हो सकता है.
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