श्याम अग्रवाल, खरोरा/रायपुर। देशभर में कोरोना काल में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा है. देशभर में ऑक्सीजन उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक गांव में 5000 हरे भरे पेड़ों पर कटार चला दिया गया. कुदरती ऑक्सीजन की डोर को काट दी गई. हैरान करने वाली बात ये है कि इसकी वन विभाग को भनक तक नहीं लगी थी. राज्य के एक नामी उद्योगपति ने फैक्ट्री लगाने के लिए नियम कानून को ताक में रखकर हजारों पेड़ कटवा दिए. अब मामला सामने आने के बाद प्रशासन लीपापोती में जुट गया है.

5 हजार पेड़ों की चढ़ा दी बलि

दरअसल, कुछ दिनों पहले तक रायपुर जिले के तिल्दा इलाके के जलसो गांव में हजारों हरे भरे पेड़ लहलहाते थे. ये 120 एकड़ का पूरा इलाका किसी घने जंगल जैसा नजर आता था, लेकिन कुछ दिन पहले यहां हजारों हरे भरे पेड़ों को बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के काट दिया गया. अब यहां छोटे पौधे और कटे हुए पेड़ों के ठूंठ ही नजर आते हैं. जलसो गांव के लोग बताते हैं कि एक बड़े उद्योगपति ने फैक्ट्री लगाने के लिए इन पेड़ों को कटवा दिया. पेड़ काटने के लिए उद्योगपति ने जिला प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली. अब स्थानीय पर्यावरणप्रेमी उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहें हैं.

5000 से ज्यादा पेड़ों की बलि   
इस मामले के उजागर होने के बाद प्रशासन मामले की लीपापोती में जुट गया है. कलेक्टर और डीएफओ सफाई देने में जुटे हैं कि उद्योगपति ने अपनी निजी जमीन पर नीलगिरी का प्लांटेशन कराया था. नीलगिरी को काटने के लिए किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक डीएफओ ने जब निरीक्षण किया, तो 4 घंटे में 1600 से ज्यादा पेड़ों की कटाई  किए जाने की जानकारी दी, जबकि 5000 से ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है.

 

अवैध कटाई का विरोध में आंदोलन की चेतावनी

गांव के सरपंच का दावा है कि काटे गए पेडों में से सागौन प्रजाति का पेड़ भी शामिल है, जिसको काटने के लिए कलेक्टर की अनुमति लेनी होती है, लेकिन प्रभावशाली उद्योगपति ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नियम कानून को ठेंगा दिखा दिया है. सरपंच सहित गांव के जागरुक लोगों ने इस अवैध कटाई का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर आगे तक जाएंगे. उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे.

जन आंदोलन करेंगे स्थानीय

जनपद सदस्य चंद्रकांत साहू ने कहा कि जहां पूरे भारत मे ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं. वहीं बड़ी कंपनियों के बड़े अधिकारी और मंत्रियों के साथ मिलीभगत कर पेड़ काटे जा रहे हैं. अगर यही एक पेड़ भी कोई गरीब काटता है, तो उसके ऊपर कार्रवाई हो जाती. उन्होंने लॉकडाउन के बाद जन आंदोलन करने की बात कही.

स्थानीय प्रशासन को आवेदन देना अनिवार्य

नियमों के मुताबिक राजस्व भूमि पर पेड़ नीलगिरी के हैं, तो उसे कटवा सकते हैं. हालांकि पेड़ काटने के पहले भौतिक सत्यापन जरूरी है. यह तब और जरूरी हो जाता है, जब पेड़ों की संख्या अधिक हो. भौतिक सत्यापन के लिए स्थानीय प्रशासन को आवेदन देकर सूचना देनी होती है, जिससे यह साबित हो सके कि कटाई वैध है.

क्या होगी कार्रवाई ?

देशभर में ऑक्सीजन की मारा-मारी जारी है. सांसों को लेकर जद्दोजहद जारी है. इसका मुख्य कारण अवैध कटाई है, जिससे पर्यावरण को खासा नुकसान हो रहा है. आज इंसान को पैसे में खरीदकर सांस लेनी पड़ रही है. इसकी वजह पेड़ों की अवैध कटाई है, लेकिन उद्योगपति कानून को ताक में रखकर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करता है.

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