आज के इस दौर में आबोहवा को क्या हो गया है ? छोटी सी उम्र में ही बच्चे मौत को गले लगा रहे हैं. क्या यह बच्चों की नासमझी है या सोची समझी साजिश का हिस्सा? 21वीं सदी में छोटे बच्चे माता-पिता की किसी बात से निराश होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर क्षेत्र में दो दिन में दो बच्चों ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.

भानुप्रतापपुर। भानुप्रतापपुर थाना क्षेत्र के फरसकोट गांव में मंगलवार को एक 11 वर्षीय बच्चे ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. उसने यह कदम सिर्फ इसलिए उठा लिया, क्योंकि पिता ने डांट दिया था. पिता की डांट बेटे को इतनी नागवार गुजरी की उसने पेड़ पर रस्सी बांधकर फांसी लगा ली.

पिता की डांट के बाद उठाया खौफनाक कदम

मिली जानकारी के मुताबिक फरसकोट निवासी शिव प्रसाद उसेंडी ने अपने बेटे पीयूष उसेंडी को गाड़ी साफ करने को कहा था. जिसके बाद वो डीजल लेने भानुप्रतापपुर आ गए. शिव प्रसाद जब वापस घर पहुंचे, तो गाड़ी साफ नहीं हुई थी. गाड़ी की सफाई नहीं किए जाने पर पिता ने बेटे को फटकार लगा दी.

पेड़ से फांसी लगाकर दी जान

पिता को नहीं पता था कि यह डांट बेटे के लिए आखिरी डांट होगी. इसके बाद वो अपना दूसरा काम करने लग गए. लेकिन पिता की डांट से बेटा पीयूष नाराज हो गया. पीयूष पास के ही एक कुंए के पास चला गया. वहां छोटे से पेड़ पर रस्सी बांधी और फांसी पर झूल गया. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. भानुप्रतापपुर पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई कर शव को परिजनों को सौंप दिया.

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दो दिन में दो खुदकुशी के मामले

इससे पहले सोमवार को भानुप्रतापपुर के वार्ड क्रमांक 12 में दो बहनों के बीच विवाद हुआ था. इसके बाद 14 वर्षीय बच्ची संगीता यादव ने घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. भानुप्रतापपुर क्षेत्र में लगातार दो दिनों से कम उम्र के दो मासूम बच्चों ने खुदकुशी कर ली. इस तरह की घटना के क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है.

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परिजनों के सामने खड़ी हुई नई समस्या

छोटी सी उम्र में बच्चों इतना घातक कदम उठा रहे है. ऐसे में क्षेत्र के परिजनों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है. परिजनों को अब अपने बच्चे को डांटने में भी डर लगने लगा है. वो यह सोच रहे हैं कि कहीं उनका बच्चा भी ऐसा खौफनाक कदम न उठा लें. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर बच्चे ऐसा आत्मघाती कदम क्यों उठा रहे हैं ?

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बच्‍चों के मन में क्‍यों आता है खुदकुशी का ख्‍याल ?

कई छोटे उम्र के बच्‍चे जो सुसाइड कर लेते हैं या इसकी कोशिश करते हैं. उनमें मानसिक विकार देखा जाता है. मानसिक स्थिति ठीक न होने की वजह से टीएनज बच्‍चे स्‍ट्रेस को संभाल नहीं पाते हैं. इनमें फेल होने, ब्रेकअप, पारिवारिक परेशानियों और रिजेक्‍ट होने की वजह से सुसाइड करने का ख्‍याल आ सकता है. इन्‍हें लगने लगता है कि आत्‍महत्‍या करने से इनकी परेशानियां हमेशा के लिए खत्‍म हो जाएंगी.

बच्चों में खुदकुशी के कारण!

  • मानसिक विकार, इसमें डिप्रेशन भी शामिल है.
  • किसी खास दोस्‍त या परिवार के सदस्‍य के साथ मतभेद या मौत हो जाना.
  • शारीरिक, यौन उत्‍पीड़न या हिंसा का शिकार होना.
  • शराब या दवा की लत लग जाना.
  • कोई बीमारी होना जैसे यौन संक्रमित रोग आदि.
  • दूसरों के द्वारा परेशान किया जाना.
  • परिवार के किसी सदस्‍य या दोस्‍त का आत्‍महत्‍या कर लेना.
  • परिवार में आत्‍महत्‍या की प्रवृत्ति होना.

परिजनों को क्‍या करना चाहिए ?

अगर आपको अपने बच्‍चे में आत्‍महत्‍या की प्रव‍ृत्ति दिखती है, तो उसे रोकने के लिए आपको कई तरीके अपनाने चाहिए.

डिप्रेशन और एंग्‍जायटी की पहचान: अगर आपका बच्‍चा उदास, बेचैन या जद्दोजहद करता हुआ दिखता है, तो उसकी मदद करें. उसके मदद मांगने का इंतजार न करें.

बातों को हल्‍के में न लें: मन में आत्‍महत्‍या का ख्‍याल आने पर बच्‍चों में संकेत दिखने लगते हैं. अपने बच्‍चे की हरकतों को नजरअंदाज न करें.

अकेला न छोड़ें: परिवार और दोस्‍तों के साथ समय बिताने के लिए कहें.

ट्रीटमेंट: आप काउंसलिंग, दवाओं और परिवार के साथ और प्रेम से बच्‍चों में आत्‍महत्‍या के विचारों को खत्‍म कर सकते हैं.

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