स्वास्थ्य सेवा में नर्स का स्थान अहम है. कोविड-19 के संक्रमण को खत्म करने के मोर्चे पर तैनात नर्सिंग स्टाफ भी अपने आप में डॉक्टर से कम नहीं हैं.

सामान्य संक्रमण हो या फिर  महामारी का प्रकोप नर्स की अहम भूमिका है. इसी सेवा भावना और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्प लिए  बलौदाबाजार जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स मोनिका यादव और अर्जुनी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की चंचल टंडन भी कोरोनावायरस के संक्रमण के इन दिनों में सबकुछ भुलाकर लोगों की सेवा कर रही हैं और वायरस से बचने के उपाय सुझा रही हैं.

पापा की प्रेरणा से बनीं नर्स ‘मोनिका यादव’

बलौदाबाजार जिला अस्पताल नॉन कम्युनिकेबल डिजीस स्पेशल सेल (एनसीडी सेल) में कार्यरत मोनिका कहती हैं “पापा की प्रेरणा और मार्गदर्शन से नर्स का प्रोफेशन हासिल किया. जब मैंने 12 वीं पास की उसी दौरान मम्मी की तबीयत काफी खराब हो गई थी, उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. वहां सफेद रंग की ड्रेस पहने नर्स और उनके सेवा कार्य को देखकर पापा ( जो टीचर हैं) ने कहा बेटा तू भी नर्स बनना. मुझे कुछ पता नहीं था मगर नर्स का कार्य मुझे भी काफी भाया और पापा की प्रेरणा से नर्स बन गयी. परिवार में कोई भी नर्स नहीं थी इसलिए थोड़ी बहुत बातें हुईं मगर पापा के सपोर्ट से नर्स के रूप में समुदाय की सेवा करने की प्रेरणा मिली.“ वर्ष 2013 में  नर्सिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद बलौदाबाजार जिला अस्पताल में पहली पोस्टिंग मिली और आज कई विभागीय कार्य वह संभाल रही हैं.

कोविड काल में कई बार उन्हें कोविड मरीजों के परिजनों को जागरूक करने का कार्य भी किया है. वैसे नॉन कम्युनिकेबल डिजीस सेल (एनसीडी सेल) में तो उन्हें हर तरह के मरीजों की सेवा करनी होती है. सिस्टर मोनिका कहती हैं, “परिवार में मम्मी-पापा और छोटे भाई बहन हैं. हमें ड्यूटी हर तरह के मरीजों के लिए करनी होती है . इसलिए कई बार परिवार वालों के स्वास्थ्यगत चिंताएं होने लगती हैं. पर पारिवारिक सहयोग से सेवाकार्य को डटे हुए हैं.“ मोनिका बताती हैं “कोवि़ड काल में ज्यादातर मरीजों को कोविड नियमों का पालन करने, वैक्सीनेशन करवाने और सोशल डिस्टेंसिंग रखने की जानकारी देते हैं. साथ ही कोविड से डरना नहीं है, बल्कि स्वच्छता जागरूकता के जरिए इस बीमारी को हराना है, इस तरह के संदेश भी समुदाय में देते हैं.“

बच्चों को बाहर से बंद कर करती हैं ड्यूटी ‘चंचल टंडन’

अर्जुनी पीएचसी ( प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र) में मातृ-शिशु , मेटरनिटी वार्ड की स्टाफ नर्स चंचल टंडन सामान्य दिनों के समान ही कोवि़ड काल के दौरान भी सेवा दे रही हैं. उनके व्यवहार और कार्यकुशलता के कायल मरीज और उनके परिजन हैं. चंचल बताती हैं “बचपन से ही दूसरों की सेवा करने की भावना की वजह से उन्होंने नर्स का प्रोफेशन चुना”. 2014 से पीएचसी में वह नर्स का कार्य कर रही हैं. उनकी दो बेटियां हैं जिन्हें घर पर बाहर से ताला लगाकर ड्यूटी पर आना उनकी मजबूरी है. चंचल कहती हैं “बच्चियां जब छोटी थीं तब वह अपने साथ कार्यस्थल पर उन्हें लेकर आती थीं, मगर अब वह थोड़ी बड़ी हो गईं हैं तो संभव नहीं. लेकिन उनकी सुरक्षा के मद्देनजर बेटियों को घर में रखकर बाहर से बंद कर ड्यूटी करना पड़ता है.“ वह खुश हैं कि अस्पताल में मरीजों, उनके अधिकारियों और स्टाफ का और घर में बेटियों का साथ उन्हें मिलता है.

सिस्टर चंचल कहती हैं ‘सेवानिवृत्त हो जाऊंगी, अस्पताल तो आना नहीं हो सकेगा मगर समाज के उन्नत स्वास्थ्य के लिए अथक प्रयास करती रहूंगी’.