प्रतीक चौहान. रायपुर. अपनी करतूतों को छिपाने के लिए अब आरपीएफ और रेल मंडल के अधिकारियों ने एक तरकीब खोज निकाली है. सूत्रों से पता चला है कि आरपीएफ अब पत्रकारों की कॉल डिटेल में नजर बनाएं हुए है.
सूत्र बताते है कि जहां रेलवे और आरपीएफ की नाकामी या अधिकारियों की पोल खोलने वाली खबर प्रकाशित होती है वहां के पत्रकार की कॉल डिटेल का पता लगाना शुरू कर दिया गया है. जिससे रेलवे के खबरी की जानकारी उन्हें मिल सके.
सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि आरपीएफ के एक अधिकारी ने अपने अधीनस्थ एक कर्मचारी को इस बाबत धमकी भी दी थी कि ‘तुम्हारी कॉल डिटेल निकाली जा रही है कि तुम पत्रकार को यहां की खबर देते हो’. वहीं आरपीएफ द्वारा कार्रवाई की गई खबरों को भी पहले प्रकाशित करने पर आरपीएफ के कुछ चापलूस अधिकारी नाराज हो जाते है और अपने उच्च अधिकारियों के जाकर कान भरते है कि इस अधिकारी के कार्यालय से ये खबर गई है जबकि इसकी प्रेस रिलीज जारी नहीं की गई है.
वहीं जीएम के बंगले में रेल कर्मचारियों की चौकीदारी करने की खबर प्रकाशित होने के बाद रेल अधिकारियों में मचे हड़कंप के बाद अधिकारियों ने आरपीएफ के उच्च अधिकारियों को कॉल डिटेल खंगालकर खबरी की तलाश करने के मौखिक आदेश दिए है.
खबरी ने बदले पत्रकारों को फोन करने के तरीके
अब इस पूरे घटनाक्रम के बाद रेलवे के खबरियों ने भी पत्रकारों को जानकारी देने का तरीका बदल दिया है. अब खबरी वाट्सअप, फेसबुक, ट्रू कॉलर कॉलिंग समेत अन्य सोशल मीडिया के जरिए फोन कर जानकारी दे रहे है. ताकी समय-समय पर रेलवे के उन अधिकारियों की पोल खुलती रहे जो अपने पद का दुरूपयोग करते है.
आईटी एक्ट के दायरे में
जानकार बताते है कि यदि आरपीएफ को किसी भी मोबाइल नंबर की जानकारी चाहिए हो तो उसके लिए उन्हें जीआरपी की मदद लेनी पड़ती है और उसके संबंध में एक अधिकृत ई-मेल आईडी से केस रिफ्रेंस के आधार पर जानकारी मांगी जाती है. लेकिन आरपीएफ में बैठे कुछ उच्च अधिकारी जिनके परिवार के अन्य सदस्य पुलिस में मौजूद है उनकी मदद से वे जानकारी निकलवाने की कोशिश कर रहे है. जो कि आईटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आता है.
जब-जब अधिकारियों की पोल खुली, बौखला गए अधिकारी
अक्सर रेलवे के अधिकारी सैलून का दुरूपयोग करते देखे गए है. रायपुर रेल मंडल के डीआरएम श्याम सुंदर गुप्ता हो या जोन के रिटायर होने वाले जीएम गौतम बनर्जी इन पर भी सैलून के दुरूपयोग करने के मामले सामने आ चुके है. इतना ही नहीं अक्सर रेलवे के अधिकारी रात में पार्टी करने के लिए भी जाने जाते है. अनाधिकृत रूप से रेलवे के ऑफिसर्स क्लब में दारू पार्टियां होना आम बात है. वहीं गेट में कोई पत्रकार प्रवेश कर वहां की तस्वीरें न खिंच ले इसलिए वहां आरपीएफ को तैनात कर दिया जाता है. बता दें कि कुछ वर्ष पहले ऐसी ही एक पार्टी ने सुर्खियां बटोरी थी, जब जीएम के फेरवेल पार्टी में जीएम के साथ गाना गाने से मना करने पर एक क्लर्क को रायपुर रेल मंडल के पूर्व डीआरएम राहुल गौतम ने सस्पेंड कर दिया था. हालांकि बाद में मचे बवाल के बाद ये आदेश वापस लिया गया. वहीं रेलवे के अधिकारी निरीक्षण का बहाना कर ऐसी पार्टियों में शामिल होते है. वहीं ऐसी पार्टियों में मदद करने वाले स्टॉफ का अधिकारी भी पूरा ध्यान रखते है. उनके वर्षों तक ट्रांसफर नहीं होते और उन्हें विभिन्न प्रकार के अवार्ड समारोह में पहले प्राथमिकता दी जाती है. इसका उदाहरण भी पिछले डीआरएम कौशल किशोर के कार्यकाल में देखा गया जब उनके बंगले में अनाधिकृत रूप से खाना बनाने वाले स्टॉफ को उपकृत किया गया था, लेकिन इसके बाद भी जब बवाल मचा तो आदेश वापस ले लिया गया.