मुंगेली– कोरोना महामारी के इस दौर में जहां लोग इस संक्रामक बीमारी से बचने के लिये सामाजिक दूरी को महत्व दे रहें हैं,वहीं मुंगेली जिले के करही गांव के एक युवक ने कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीजों की सेवा करने का ऐसा अवसर चुना,जिसकी सभी सराहना कर रहें हैं. रणवीर सिंह नामक इस युवक ने कोरोना से संक्रमित होने के बाद अपने गांव सहित जिले के सौ से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों को न केवल अस्पताल पहुंचाया,बल्कि इन मरीजों से लगातार संपर्क कर उनका हौसला बढ़ाते रहे. कोरोना पीड़ित मरीजों को नाश्ता,भोजन और दवाईयां पहुंचाने का काम भी पूरी तन्यमता से करते रहे.रणवीर ने ऐसे कई कोरोना मरीजों को अपने निजी वाहन में बिठाकर अस्पताल पहुंचाया, जिनके परिजन कोरोना के डर से अपने हाथ खड़े कर लेते थे.

लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में रणवीर सिंह ने बताया कि वे साल भर से कोरोना संक्रमण से बचने के हरसंभव उपाय करते रहे, लेकिन अप्रेल महीने के शुरुआत में उनके माता पिता सहित परिवार के कुछ अन्य सदस्यों को सर्दी बुखार जैसे लक्षण आने पर उन्होंने सावधानी बरतते हुए एन्टीजन टेस्ट कराया,जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई. लेकिन दो दिन बाद ट्रू नाट टेस्ट कराने पर इनके संयुक्त परिवार के 17 सदस्य कोविड पॉजिटिव पाये गये. इस जानकारी ने शुरु में घर वालों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया, लेकिन रणवीर सिंह ने परिवार के सभी सदस्यों को हौसला दिलाते हुए तुरंत बिलासपुर शहर का रुख किया.

बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में डॉक्टर से संपर्क कर परिवार के सदस्यों का इलाज शुरु कराया. रणवीर के मुताबिक स्वयं के कोविड पॉजिटिव होने की बात को उन्होंने मन में हावी नहीं होने दिया और शारीरिक कमजोरी के बाद भी बुलंद हौसले के साथ अपने गांव के दूसरे मरीजों की सेवा करना शुरु किया. उनके इस सेवा भाव की चर्चा होने पर मुंगेली जिले के कई लोगों ने रणवीर से संपर्क करना शुरु किया और उनसे मरीज के परिवहन और अस्पताल में बेड की उपलब्धता जैसे मामलों पर मदद मांगना शुरु किया. रणवीर ने इसे सेवा का अच्छा अवसर मानते हुए बिलासपुर शहर के अलग अलग अस्पताल जाकर बेड की उपलब्धता और वहां पर सुविधाओं की जानकारी एकत्रित करने लगा और यह जानकारी दूरस्थ गांव से आये कोरोना मरीजों के लिये बेहद महत्वपूर्ण थी.

दरअसल कोविड पॉजिटिव होने के बाद रणवीर सिंह ने इस संबंध में डॉक्टरों से विस्तृत बातचीत की थी कि एक कोविड मरीज को दूसरे संक्रमित मरीजों के साथ मेलजोल करने में क्या सावधानी बरतनी चाहिये. इस संबंध में डॉक्टरों का कहना था कि पॉजिटिव आने के 12 दिन बाद एक मरीज न तो दूसरे को संक्रमित कर सकता है और न ही दूसरे संक्रमित मरीज से खुद संक्रमित हो सकता है. डॉक्टरों द्वारा बताये गये इस जानकारी ने रणवीर के आत्मविश्वास को दोगुना कर दिया. हालांकि रणवीर ने सेवा के दौरान कोविड प्रोटोकाल का पालन किया और इस दौरान हमेशा डबल मॉस्क पहनना और यथासंभव फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने वाली बातों को ध्यान में रखते थे. बिलासपुर शहर के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों की परेशानी को देखते हुए रणवीर उनके लिये नाश्ते और भोजन की व्यवस्था स्वयं करते थे और सुबह शाम मरीजों से मिलकर या फिर फोन के जरिये सतत संपर्क करते हुए हौसला बढ़ाते रहते थे.

कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी रणवीर ने सेवा कार्य जारी रखा और यह तय कर लिया कि जब तक उनके परिचित मरीज पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाते,तब तक वे अपने गृह ग्राम नहीं जायेंगे और सभी की सेवा पूर्ण करने के बाद ही वह अपने घर वापस लौटेंगे. रणवीर ने 6 अप्रेल से 21 मई तक लगातार बिलासपुर में निवास करते हुए लगातार कोरोना मरीजों की सेवा की और जब उनके सभी परिचित कोरोना मरीज स्वस्थ होकर वापस अपने अपने घर चले गये,तब जाकर रणवीर अपने गृह ग्राम रवाना हुए. रणवीर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद ईश्वर ने उन्हें दूसरों की सेवा करने का अच्छा अवसर दिया और इस काम को करने के बाद मुझे लगता है कि मैंने धर्मशास्त्रों के मुताबिक काफी पुण्यलाभ अर्जित कर लिया है.