हां, चश्मा पहनने से कोरोना वायरस का खतरा करीब 3 गुना तक कम हो जाता है. ये दावा हम नहीं बल्कि एक स्टडी से ये पता चला है.

अगर आपको भी किसी तरह का दृष्टि दोष है जिसे दूर करने के लिए आप नियमित रूप से चश्मा पहनते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. भारत में ही हुई एक नई स्टडी में यह बताया गया है कि जो लोग चश्मा पहनते हैं उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा 3 गुना कम है.

ऐसा क्यों ये समझने के लिए लल्लूराम डॉट कॉम ने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष महोबिया से बातचीत की. इससे जुड़ी जागरूकता  एक वीडियो भी उन्होंने उपलब्ध करवाया. डॉ आशीष महोबिया ने बताया कि इसका कारण ये है कि ज्यादातर मामलों में जब कोई व्यक्ति अपने वायरस से संक्रमित हाथों से आंख, नाक और मुंह को छूता है तो यह वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है. ऐसे में जब मुंह और नाक पर मास्क है और आंखों पर चश्मा लगा है तो चश्मा पहनने वाले लोग अपनी आंखों को कम छूते हैं और इसलिए उनके कोविड-19 (Covid-19)से संक्रमित होने का खतरा कम होता है.

स्टडी में शामिल 19 प्रतिशत लोग रेग्युलरली चश्मा पहनते थे

medRxiv, हेल्थ साइंसेज से जुड़ी दुनिया की मशहूर वेबसाइट है जिस पर भारत में हुई इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है. उत्तर भारत के कानपुर स्थित एक हॉस्पिटल में यह स्टडी हुई जिसमें अनुसंधानकर्ताओं ने 304 लोगों को शामिल किया था. इसमें से 223 पुरुष और 81 महिलाएं थीं. इन सभी लोगों की उम्र 10 साल से 80 साल के बीच थी और इन सभी लोगों में कोविड के लक्षण (Covid Symptoms) देखने को मिले थे. स्टडी में शामिल 19 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो ज्यादातर समय चश्मा पहनकर रखते थे.

हर व्यक्ति हर घंटे औसतन 023 बार चेहरा और 3 बार आंखें छूता है

स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने औसतन हर घंटे में 23 बार अपने चेहरे को हाथ लगाया और अपनी आंखों को प्रति घंटे औसतन तीन बार. इस दौरान पाया गया कि जो लोग चश्मा नियमित रूप से पहनते हैं उनमें कोविड-19 संक्रमण होने का खतरा 2 से 3 गुना कम था. स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया कि दूषित हाथों से आंखों को छूना और रगड़ना, इंफेक्शन फैलने का एक अहम रास्ता हो सकता है. लंबे समय तक चश्मा इस्तेमाल करने की वजह से बार-बार आंखों को छूने और रगड़ने से रोका जा सकता है.